राष्ट्रनायक न्यूज।
नगरा (सारण)। सरकारी कार्यालयों को लेकर अक्सर आम लोगों के बीच एक चर्चा आम होती है। 11 बजे तक लेट नहीं, 2 बजे के बाद भेंट नहीं, लेकिन अब तो सरकारी कार्यालय को भूल जाईए, प्रखण्ड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की अलख जगा रहे शिक्षकों से ही दो बजे के बाद भेंट नहीं हो रही है। मामला नगरा प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अफौर ढ़ाला से जुड़ा है। सरकारी विद्यालयों के प्रभारी नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने तर्ज पर ’11 बजे लेट नहीं और 2 बजे भेंट नहीं’ की तर्ज पर कर रहे विद्यालय का संचालन हैं। नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अफौर ढ़ाला में दोपहर 2 बजे के बाद ताला लटका हुआ पाया गया। वहीं विद्यालय के सूचना पठ पर विद्यालय के शिक्षक के संबंध में कोई भी विवरण नहीं होने के कारण शिक्षकों से संपर्क स्थापित नहीं हो सका। इस संबंध में जब ग्रामीण प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी मदन मोहन साह से फोन पर बात करना चाहे तो उनका मोबाईल स्वीच ऑफ पाया गया। जिसके बाद प्रशिक्षु प्रखण्ड विकास पदाधिकारी पुजा कुमारी से फोन कर इसकी जानकी दी गई तो उन्होंने संबंधित पंचायत के विकास मित्र को स्थलीय स्त्यापन्न के लिए भेजा जिसमें भी विद्यालय बंद पाया गया। जिसके बाद उन्होंने इसकी जांच कर आगे की कार्रवाई की बात कहीं है। मौके पर अफौर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मिथलेश राय भी पहुंच पंचायत की खराब हो रही शिक्षा व्यवस्था पर अपनी गहरी नाराजगी जाहीर की। उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को पत्र लिख कार्रवाई करने की बात कहीं।
बीईओ को हर महीने करना है स्कूलों का निरीक्षण, पर निकलते ही नहीं
आमुमन क्षेत्र के सभी विद्यालयों का हर महीने प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी को विद्यालयों का निरीक्षण करना है। इसके लिए निदेशालय की ओर से बेस्ट मोबाइल एप की व्यवस्था की गई है। इसमें स्कूलों के संचालन की तस्वीर खुलने, बंद होने का समय, उपस्थित शिक्षकों की संख्या समेत अन्य आवश्यक जानकारियों को दर्ज करना होता है। पर प्रख्ण्ड के शिक्षा पदाधिकारी मदन मोहन साह जो नगरा के प्रभार में रहने के कारण ज्यादा समय नहीं दे पाते है। जिससे प्रखण्ड क्षेत्र में संचालित विद्यालयों का निरीक्षण नहीं हो पा रहा है। जिला शिक्षा विभाग की ओर से सभी बीईओ को नियमित स्कूलों का निरीक्षण कर इसकी हार्ड कॉपी रिपोर्ट मुख्यालय में जमा कराए जाने का निर्देश भी जारी किया था। बावजूद इसके बीईओ निरीक्षण पर नहीं निकलते हैं।
दूर दराज के विद्यालयों के संचालन का नहीं होता नियमित जांच, जिससे शिक्षक करते है मनमानी
प्रखण्ड के बाजारों के आस पास लगे विद्यालयों की बात करे तो वहां शिक्षक नियमित रूप से पठन- पाठन कर विद्यालयों का संचालन करते है। पर प्रखण्ड के संपर्क पथ से दूर दराज के इलाकों में स्थापित विद्यालय जहां पर अधिकारी शायद की कभी पहुंच पाते है वहां के शिक्षक अधिकारियों की जांच से बेपरवाह हो अपनी मनमानी कर विद्यालय का संचालन करते नजर आ रहे है।
विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को करनी है मॉनिटरिंग
विद्यालयों के संचालन को लेकर वीएसएस यानी विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को इसकी मॉनिटरिंग करनी है। इसके सदस्यों को कई अहम कार्यों के लिए जवाबदेह बनाया गया है। बावजूद इसके स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों की लापरवाही भी क्षेत्र की विद्यालयों की बदहाली के लिए जिम्मेदार है।
सुबह 9:30 से शाम 3:30 तक देना है बच्चों को शिक्षा, वहीं 4 बजे तक अगले दिन की बनानी है कार्य योजना
जिला शिक्षा प्रशासन की ओर से जारी आदेश में सभी विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा देने का समय सुबह 9:30 से लेकर 3:30 तक देना है। वहीं 3:30 से संध्या 4 बजे तक विद्यालय के प्रधानार्चाय अपने शिक्षकों के साथ बैठक कर अगले दिन की कार्य योजना व विद्यालय के कागजी कार्यो का निपटारा करना होता है।
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