प्रो अजीत कुमार सिंह सेंगर। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। ऐ अल्लाह, मुल्क में अमन व शांति कायम करना। मेरे गुनाहों को माफ करना और मेरा रोजा कबूल करना। मुझे बुराईयों से बचाए रखना और इंसानियत की सीख देना। मस्जिदों में हाथ फैलाए रोजेदार अल्लाह से ऐसी ही दुआ कर रहे थे। मौका था माह-ए-रमजान के तीसरे जुमे की खास नमाज अदा करने का। इस सिलसिले में जिले की मसजिदों में खास तैयारी की गई थी। मार्केट में भी चहल-पहल देखने को मिल रही थी। माह-ए-रमजान के तीसरे जुमा की नमाज शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों की छोटी बड़ी तमाम मसजिदों में अदा की गयी। फर्ज नमाजों के साथ कसरत से नफल नमाज अदा की गयी। तिलावत कलाम पाक किया गया.श। तस्बीह हुई। पूरा जुमा रब को राजी करने में गुजरा। शुक्रवार के भोर में रोजेदारों ने सहरी खायी। पुरुषों ने मसजिदों में तो महिलाओं ने घरों में नमाज अदा की। इसके बाद कुरआन शरीफ की तिलावत की गई और जुमा की नमाज की तैयारी शुरू हो गयी। जुमा की अजान होने तक मस्जिद नमाजियों से भर गयी। इसके बाद नमाजियों ने सुन्नतें अदा की। इमाम ने तकरीर पेश की। खुदा की हम्द व सना बयान की। इमाम के साथ सभी ने खुदा के बारगाह में दुआ के लिए हाथ उठाए। इमाम की दुआ पर सभी ने आमीन की सदाएं बुलंद की। पुरुषों ने भी घर आकर तिलावत व तस्बीह की।
रोजा बीमारियों को दूर करता है: मौलाना वलीउल्लाह कादरी
मौलाना वलीउल्लाह कादरी ने कहा कि रोजा रखने में बहुत सी हिकमतें हैं। रोजा रखने से भूख और प्यास की तकलीफ का पता चलता है। इससे खाने-पीने की चीजों की अहमियत के बारे में वाकिफ होते हैं। इंसान खुदा का शुक्र अदा करता है। रोजा से भूखे और प्यासे पर मेहरबानी का जज्बा पैदा होता हैं। क्योंकि मालदार अपनी भूख याद करके गरीब मोहताज का एहसास करते हैं। रोजा से भूख बर्दाश्त करने की आदत भी पड़ती है। अगर कभी खाना मयस्सर न हो तो इंसान घबराता नहीं है। रोजा (उपवास) बहुत सी बीमारियों का इलाज है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर अन्य महीनों में और खास तौर पर रमजान माह में फकीर व अन्य मांगने वालों को न झिड़कें। गरीबों, जरूरतमंदों की मदद करें। अगर मौका मिले तो उनको इफ्तार और खाने में शरीक करें और सवाब हासिल करें।
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