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नीचे खिसका वाटर लेवल, 4208 खराब चापाकल में से 607 का ही हुआ मरम्मत, चापाकल मरम्मत करने को भ्रमण कर रहा टीम, खुला कंट्रोल रूम 

  • कार्यपालक अभियंता बोले- सभी प्रखंडों माह में दो बार वाटर लेवल की जांच की जा रही है रिविलगंज में 17 फीट है वाटर लेवल 
  • भू-जल स्तर में कमी होने पर कृषि पर पड़ेगा व्यापक प्रभाव
  • 40 फीसद सुख गए तालाब, 30% में कम है पानी
छपरा(सारण)। जिले में भीषण गर्मी से 44 डिग्री तापमान पहुंच गया है। जिससे भूमि का जल स्तर में भी धीरे-धीरे खीसकने लगा है। आम लोगों को अभी से जल संकट की चिन्ता सताने लगी है। पानी की किल्लत से निबटने को लेकर जिले के लोक स्वास्थ्य अभियंत्र विभाग यानी पीएचईडी के इंजीनियर लैंड वाटर लेवल का आंकड़ा ही जुटाने में लगे हुए है। जानकारो कि माने तो अगर तापमान में लगातार वृद्धि होती रही है तो लोगों के जनजीवन सहित कृषि पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इधर पीएसपीडी के इंजीनियरों के द्वारा लैंड वाटर लेवल पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है जहां भी वाटर लेवल कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है वहां पर जांच पर पानी की समस्या को दूर करने के लिए आसपास के चप्पलों का मरम्मत किया जा रहा है। पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता संयोग कुमार ने बताया कि एक माह में दो बार जल स्तर की रिपोर्टिंग की जाती है। माह के 15 और 30 तारीख को कनीय अभियंताओं से आंकड़ा एकत्रित की जा रही है। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक रिविलगंज में 17 फीट और परसा में 10.6 फीट वाटर लेवल पहुंच गया है। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि वाटर लेवल की जांच करने के लिए एक प्रखंड में 5 गाँवो को चयनित किया गया है जहां से वाटर लेवल की जांच की जाती है और अवसर वाटर लेवल की गणना की जाती है। विशेषज्ञों की माने तो जिले के भू-जल स्तर में करीब 2 से 5 फीट तक खिसक जाने की संभावना है। जैसे-जैसे गर्मी का प्रभाव बढ़ेगा वैसे ही लगातार जलस्तर में भारी कमी आने की संभावना है।
पानी की आपूर्ति व चापाकल मरम्मत को ले खुला कंट्रोल रूम, जारी हुआ टेलिफोन नंबर
जिले के आम लोगों कि पानी की समस्याओं से निजात दिलाने व खराब चापाकलों की मरम्मत करने को लेकर पीएचईडी द्वारा जिला मुख्यालय में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि कंट्रोल रूम में टेलिफोन संख्या 06152-244791 कार्यरत है। जिस पर जिले के आम लोग पानी की समस्या व चापाकल मरम्मत करने को लेकर शिकायत दर्ज कराएंगे। इसके बाद पीएचईडी के कर्मी उसे ठीक करेंगे।
4208 चापाकल खराब, अभी तक 607 चापाकल का किया गया मरम्मत 
जिले में पानी की किल्लत से निपटने के लिए खराब चापाकल का मरम्मत किया जा रहा है। जिले में 32 हजार 492 चापाकल लगाए गए। जिसमें से अभी तक 4208 चापाकल खराब पाए गए हैं। जिन्हें बनाने के लिए 20 प्रखंडों में तकनीकी विशेषज्ञों की टीम भ्रमण कर रही है। पीएचईडी कार्यपालक अभियंता ने बताया कि अभी तक 607 चापाकल का मरम्मत किया गया है। शेष चापाकल को मरम्मत करने के लिए कार्य चल रहा है। कंट्रोल रूम से जहां भी चापाकल खराब होने की सूचना मिल रही है, वहां टेक्निकल टीम जाकर चापाकल का मरम्मत कर रही है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति बस्ती में 50 चापाकल एमएलए एवं एमएलसी फंड के 50 तथा 117 स्कूलों में लगे चापाकल का मरम्मत किया गया है।
भू-जल स्तर में कमी होने पर कृषि पर पड़ेगा व्यापक प्रभाव
जिले में पढ रहा है भीषण गर्मी से अगर भू-जल स्तर में कमी आयी तो आम जनजीवन के साथ-साथ कृषि पर भी व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जानकारी के अनुसार गर्मा फसल, प्याज व सहित विभिन्न प्रकार के सब्जियों के फसल की सिंचाई पर संकट आ सकता है। जानकारो कि माने तो जिले में करीब 377 सरकारी नलकूप है। जिसमें महज 139 नलकूप ही चालू है। इनमें 47 नलकूपों पर सरकारी कर्मी तैनात किया गया है, जबकि 76 नलकूप स्थानीय किसानों के भरोसे पर चलता है। इन नलकूपों की चलाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को दिया गया है लेकिन आश्चर्य की बात है कि ग्राम पंचायत नलकूपों को संचालित करने के बजाए इसे उपयोगी समझ नहीं भूल गए हैं ऐसे में खेती किसानी के लिए पानी की समस्या से फसलों पर प्रभाव पड़ सकता है। जिले में तीन सालो में करीब एक हजार किसानों ने बिहार शताब्दी नलकूप योजना के तहत बोरिंग लगवायें है। बाकि किसान नीजी बोरिंग, नहर व तालाबों पर निर्भर रहते है।
नहरों व छोटी-छोटी नदियों में भी नहीं है पानी
जिले में नहरों व छोटी-छोटी नदियों पर निर्भर किसानों को फसलों की सिंचाई को लेकर भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की माने तो नेहरो को पीसीसी बना दिया गया है। लेकिन इन नहरों में पानी नहीं आ रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के छोटी-छोटी में अभी ही पानी सुख चुका है। जिससे किसानों की फसल पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
40 फीसद सुख गए तालाब, 30% में कम है पानी
जिले के करीब 983 सरकारी तथा करीब 250 सार्वजनिक व निजी तालाब है। जिनमें करीब 40 फीसद तालाब अभी तक सुख चुके है, जबकि करीब 30 % तालाबों में पानी कम है। जानकारों की माने तो लगातार बढ़ रहे गर्मी से इन तालाबों के पानी जल्द ही सुख जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो जिले के ग्रामीण क्षेत्र के करीब 250 सरकारी तालाबों पर स्थानीय दबंगों का अवैध कब्जा है। जिसे कब्जा मुक्त कराने को लेकर प्रत्येक वर्ष जिले के सभी अंचलाधिकारियों को निर्देश दिया गया था। लेकिन अभी तक कब्जामुक्त नहीं कराया गया है। जिससे स्थानीय लोगों में पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है।
जिले के 3563 वार्ड में जलापूर्ति को लगा है नल-जल, 45 वार्ड में जलापूर्ति बाधित 
जिले में भीषण गर्मी को देखते हुए मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के तहत जिले 3563 वार्ड में लगे हर घर नल का जल को नियमित संचालित करने को लेकर जिला पंचायत राज पदाधिकारी ने सभी तकनीकी सहायक को आवश्यक दिशा निर्देश दिए है। उन्होंने भीषण गर्मी को देखते हुए पानी की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से नियमित नल-जल संचालित करने का आदेश दिया है। नल जल योजना को नियमित संचालित करने को लेकर सभी वार्ड के जलमीनार पर आईओटी डिवाइस लगाया गया है, जिसके माध्यम से देखा जा रहा है कि कहां कितना देर मोटर पंप चला है। जानकारों की माने तो जिले के अभी 45 वाडों में जलापूर्ति बाधित है। जिससे वहां के लोग निजी चापाकल पर निर्भर है। इसकी शिकायत मिलने पर डीपीआरओ ने जिसे यथाशीघ्र संचालित करने के लिए संबंधित तकनीकी सहायक को निर्देश दिया है। साथ ही सभी प्रखंडों के पंचायत राज पदाधिकारी को एक्टिव एवं नॉन एक्टिव नल जल योजना को भौतिक सत्यापन करने का निर्देश दिया है ताकि भीषण गर्मी में पानी की समस्या उत्पन्न नहीं हो सके।

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