इसुआपुर (सारण)। प्रखंड के अगौथर नंदा गांव के स्वर्गीय शंकर ओझा तथा स्वर्गीय उमा पांडेय की इकलौती संतान जया ने चार्टर अकाउंटेंट बनकर अपने दिवंगत माता-पिता के सपनों को साकार किया है। वही ‘ बेटियां बेटों से कम नहीं ‘और ‘अगर इरादे नेक हों और हौसले बुलंद हों तो किसी भी मुकाम को पाया जा सकता है।’ इसे चरितार्थ कर दिखाया है जया ने। उसने बताया कि जब वह 2 साल की थी, उसी समय 1994 में पिता सड़क दुर्घटना के शिकार हो इस दुनिया से चल बसे। वहीं जब वह 8 साल की हुई तो माता भी उसे छोड़कर चल बसीं। इसके बाद उसपर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वह अनाथ और बेसहारा हो गई। हालांकि दिल्ली में रह रही उसकी बुआ मंजू सिंह ने उसे सहारा दिया। जहां वह प्रारंभिक शिक्षा से सीए की डिग्री तक का मुकाम हासिल किया। हालांकि जया के चाचा नागेंद्र ओझा ने भी भतीजी का हौसला बढ़ाया तथा यथासंभव मदद भी की। बावजूद पढ़ाई में अधिक खर्च होने पर जया ने प्राइवेट नौकरी करते हुए अपनी पढ़ाई को जारी रखा। वहीं काफ़ी संघर्ष और परिश्रम से अपने मुकाम को हासिल कर ली है। जया ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि सपने हमेशा बड़े देखना चाहिए तथा उसे साकार करने के लिए कठिन से कठिन संघर्ष और परिश्रम करना चाहिए। परिश्रम का फल हमेशा मीठा होता है। इसलिए परिश्रम व संघर्ष से कभी घबराना नहीं चाहिए।


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