अमनौर बाढ़ पीड़ितों को अब नहीं मिल रहा किसी प्रकार का सहयोग
- ग्रामीण तास मोबाइल, मछली का शिकार कर समय काटने को मजबुर
- अमनौर जान एवं गुना छपरा गांव बाढ़ के पानी से सड़क नदी के समान बना हुआ है
नीरज कुमार शर्मा की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
अमनौर (सारण)। बाढ़ आये हुए डेढ़ माह से अधिक हो गया, सड़क से पानी तो उतर गई, पर कई गांव आज भी बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है। सरकार और इनके अधिकारियों के नजर में बाढ़ की पानी बिल्कुल उतर चुका है। कोई अधिकारी बाढ़ क्षेत्र में आना भी छोड़ दिये है, जिससे ग्रामीणों में अधिकारियों व जनप्रतिनिधिओं के प्रति आक्रोश है। बाढ़ के विभीषिका से गांव में सड़क, बिजली, झोपड़ी, खेतो में लगी फसल, खत्म हो चुकी, मवेशियों के लिए चारा पूर्ण अभाव बना हुआ है। लाखों रुपये लगाकर किसान आम, सागवान, केला, पपीता, कटहल, के बागवानी लगाए हुए थे, बाढ़ के पानी से सब पेड़ सुख गए है। सडक़ के क्षति ग्रस्त होने से कुआरी, बगही, परसुरामपुर, गुना छपरा गांव से अमनौर आने का मार्ग पूर्ण रूप से बंद है। गुना छपरा गांव में बाढ़ के पानी से बिजली के कई पोल गिर चुके है। सड़क नदी के समान गहरा हो चुका है। गांव में कई दिनों से बिजली नहीं आ रही है। पानी के सरने से दुर्गन्ध फैल रहा है। महामारी फैलने का भय बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना से घरों में दुबके रहे, और बाढ़ के विभीषिका में घर छोड़ उच्चे स्थलों पर समय ब्यतीत किया। आधे पेट भोजन कर किसी तरह जीवन काटा जा रहा है। तास, मोबाइल, मछली का शिकार करके समय काटा जा रहा है। आज भी अमनौर जान,गोसी अमनौर जिरात, शेखपुरा, शिकारपुर, तरवार, हकमा, तरवार कासिमपुर, कत्सा, सलखुआ, सरेया, गवन्दरी मनी सिरिसिया, सरायबस गांव आज भी बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है। जी आर की राशि भी अभी तक कई नही मिल पाया है। क्या करे कहा जाए कोई काम धंधा मजदूरी का अभाव बना हुआ है जीवन कैसे ब्यतीत हो सभी ग्रामीण चिंतित है।


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