किसान बिल के खिलाफ माकपा निकाला विरोध मार्च
छपरा(सारण)। अन्न दाता किसान के भविष्य को मौजूदा केन्द्र और राज्य सरकार अंधकार में धकेलने का जुगार बैठा रही है। उनके खून पसीने से उपजाई हुई फसल को औने -पौने दाम में धन्ना सेठों के गोदाम भरने की साजिश हो रही है। आज तक का इतिहास रहा है कि एक भी सासंद यदि मत विभाजन की माँग करे तो मत विभाजन होना अनिवार्य होता था। लेकिन उस दिन संसद में तमाम विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के भी कई सांसद सदन में चर्चा की माँग कर रहे थे। लेकिन सभी की माँग को ठुकरा कर ध्वनि मत से इस बिल को पास करा दिया गया, जो गैर लोकतांत्रिक है। यदि यह बिल कानून का शाक्ल इख्तियार कर लेता है तो कार्पोरेट और धन्नासेठों की चाँदी होगी और औने-पौने दाम पर किसानों के अनाज को खरीद कर फिर किसानों से ही उन्हीं के अन्न को मनमानी किमत पर बेचना आरम्भ करेगें। इस प्रकार किसानों का दोहरी शोषण होगा। हमारी माँग है कि एम.एस.पी. को कानूनी मान्यता दी गया ताकि कोई भी व्यापारी मनमाने ढ़ग से अनाज नहीं खरीद सके। उपरोक्त बातें माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य अहमद अली ने शुक्रवार को माकपा द्वारा किसान बिल के खिलाफ निकाले गये विरोध मार्च को सम्बोधित करते हुए कही। विरोध मार्च के समर्थन में एस.एफ.आई. के राज्याध्यक्ष शैलेन्द्र यादव और डी.वाई.एफ.आई. नेता विकास तिवारी ने किसानों द्वारा आहुत आन्दोलन को हर कदम पर समर्थन देने के लिये छात्र नौजवानों को सड़कों पर उतरने का आह्वान किया। विरोध मार्च को एस.एफ.आई. के जिला नेता शादाब मजहरी, लक्ष्मण कुमार, गणेश यादव, मोबस्सीर हुसैन आदि ने भी सम्बोधित किया।


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