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सूली चढ़कर शहीद भगत ने दुनिया को ललकारा है, नींद से जागो ये मजलूमों सारा देश तुम्हारा है

सूली चढ़कर शहीद भगत ने दुनिया को ललकारा है, नींद से जागो ये मजलूमों सारा देश तुम्हारा है

अजय कुमार सिंह।छपरा 

आज भगत सिंह की शहादत दिवस है। शहीद-ए-आजम भगत सिंह को सादर नमन करते हुए उन्ही के शब्दों में – जहाँ भी गुलामी और गरीबी मौजूद है, वहां कुछ जोशीले लोग उठते ही रहेंगे और गुलामी और गरीबी के जुए को उठाकर फेंकने के यत्न करते रहेंगे, चाहे वे सफल हो या नहीं। हम समझते हैं कि इतिहास हमे यही बताता है कि इन षडयंत्रो को रोकने और हमेशा के लिए खत्म करने का एक ही तरीका है कि दुनिया से गरीबी और गुलामी दूर की जाए और प्रत्येक देश में आजादी के साथ रोटी के सवाल का पूरा समाधान हो। जब तक यह नही होता, षडयंत्रो(आन्दोलनों) का बंद होना मुश्किल है।
उन्हें समर्पित है एक कविता

नींद से जागो

सूली चढ़कर शहीद भगत ने दुनिया को ललकारा है,
नींद से जागो ये मजलूमों सारा देश तुम्हारा है।
जीवनभर जो वस्त्र बनाया फटी बहन की साड़ी है,
सारी उम्र जो बैठ के खाया उसकी बंगला गाड़ी है।
जो काम करे वो रोटी खाये यही हमारा नारा है
नींद से जागो ये मजलुमो सारा देश तुम्हारा है।

नदी का सीना चीर के तुमने ऊर्जा बांध बनाया है,
अपनी मेहनत का फल तूने कितना अच्छा पाया है।
उनके महल में रात भी दिन है तेरा घर अंधियारा है,
नींद से जागो ये मजलुमो सारा देश तुम्हारा है।

खाल पहनकर इंसानो की चेहरा वही दिखाते हैं,
मखमल का है बिस्तर उनका सोना चांदी खाते है ।
भुख-गरीबी और अशिक्षा हिस्सा यही तुम्हारा है
नींद से जागो ये मजलुमो सारा देश तुम्हारा है।

इंकलाब के नारे को हम मंजिल तक ले जाएंगे,
भूख से मरने से अच्छा है जालिम से टकराएंगे।
गुरबत ने अब कफन बांधकर दौलत को ललकारा है
नींद से जागो ये मजलुमो सारा देश तुम्हारा है।

नवजनवाद के परचम को हम दुनिया मे लहरायेंगे,
अपने हिस्से की रोटी को छीन के उनसे खाएंगे।
ताज यही है चाहत अपनी सपना यही हमारा है
नींद से जागो ये मजलुमो सारा देश तुम्हारा है।

 

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