नियमो के जाल में उलझे किसान, ना बनेगा एल पी सी और ना मिलेगा कोई अनुदान
अनुज प्रतिक की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
नयागांव/दिघवारा (सारण)। जी हाँ सिर्फ यह कविता के पंक्ति नहीं बल्कि क्षेत्र के किसानों पर सटीक बैठ रही है। किसानों को अब तक विभागीय किसी भी तरह के अनुदान हेतु अंचल से निर्गत एल पी सी अनिवार्य रूप से जमा करना होता है। जिस एल पी सी को बनवाने के लिये किसानों के पैतृक भूमि एवं उसका लगान उनके पूर्वजो के नाम पर होना आवश्यक था।किसान उक्त जमबन्दीदार पूर्वज के साथ अपना उत्तराधिकार वंशावली के आधार पर अंचल में देकर एल पी सी निर्गत करवा लेता था। यह परंपरा लंबे अरसे से चलाया जा रहा था जिसके चलते अधिकतर लोगो ने अपनी जमीनों के रसीद अपने नाम करवाने की जहमत नही उठाये। वही अभी लगभग एक पखवाड़ा पूर्व सूबे के हुकमरान एवं साहब बहादुरो ने इस परंपरा को रोकते हुए ऑन लाइन एल पी सी प्रमाण पत्र निर्गत करने को व्यवस्था दे दी। इस व्यवस्थस कि जानकारी मिलने पर एक बारगी तो किसानों के अंदर खुसी का माहौल कायम हो गया और वे निश्चिन्त हो चले कि चलो अब तो ऑन लाइन ही एल पी सी निर्गत हो जाएगा। लेकिन उनकी अरमानो पर पानी उस वक्त फिरा जब उन्हें पता चला कि सिर्फ वैसे व्यक्तियों का ही एल पी सी निर्गत होगा जिनके नाम से जमाबन्दी होगा। इस नियम की जद में इलाके के हजारों किसान आ गए है जिनके मृत पूर्वजो के नाम से ही जमाबन्दी चली आ रही है। नियम के कारण कई परियोजनाओं के अधिग्रहण भुगतान में हो सकता है काफी विलंब। ऑन लाइन जमाबन्दी करवाने का फरमान निरीह बहु स्वामियों को काफी चिढा रहा है। आखिर जब तक मृत पूर्वज के नाम से चली आ रही जमाबन्दी को खारिज करवा जमीन बटवारा कर स्वयं के नाम पर नही ले ल


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