गड़खा केवानी, रामपुर में गेंदा फूलों की खेती करने वाले दर्जनों मालियों को लॉकडाउन और बाढ़ ने किया बर्बाद
- लाखों रुपए की हुई क्षति, सरकार से नहीं मिल रहा सहयोग
- नवरात्र, चुनाव में भी नहीं बिकी फूलमाला

मुरारी स्वामी की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
गड़खा (सारण)। कृषि विभाग से संबंध उद्यान विभाग द्वारा नकदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही है। लेकिन उसका लाभ जरूरतमंद किसानों को नहीं मिल पा रहा है। जिससे किसानों में काफी निराशा देखी जा रही है। जानकारी के अनुसार उद्यान विभाग द्वारा गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने को लेकर योजनाएं संचालित है जिसमें गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को अनुदान भी मुहैया कराया जाता है परंतु विभाग की कार्यशैली के कारण जय योजनाएं कागज फाइलों में धूल फांक रही है। वहीं इस योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रखंड स्तर पर प्रखंड उद्यान पदाधिकारी कार्यरत है। लेकिन इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। अधिकारिक सूत्रों की माने तो प्रखंड में उद्यान पदाधिकारी कभी कभार ही आते हैं और अपनी ड्यूटी बजा कर चले जाते हैं। ऐसे में उद्यान विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाएं किसानों तक नहीं पहुंच पाती है। गेंदा समेत अन्य फूल की खेती करके लोगों के जीवन में खुशबू भरने वाले मालियों के सामने इस वर्ष लॉकडाउन और बाढ़ ने विषम स्थिति उत्पन्न कर दी है। जिससे भूखों मरने की स्थिति आ गई है। कई मालियों ऊपर तो फुल बिक्री नहीं होने से इस वर्ष लाखों रुपए की कर्ज हो गए हैं। गड़खा प्रखंड के गड़खा, केवानी और रामपुर में गेंदा फूल समेत अन्य फूलों की खेती होती है। जो शादी विवाह,अष्टयाम, यज्ञ, मंदिरों में पूजन पाठ एवं अन्य समारोहों में फूल बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं।
लॉकडाउन से हुई फसल बर्बाद, नहीं मिलती अनुदान
गड़खा के विश्वकर्मा भगत मुन्ना भगत, शिवजी भगत, गणेश भगत ,धीरज भगत राजा भगत,केवानी गाँव में अंधेश्वर कुमार दीनानाथ भगत रामायण भगत तारकेश्वर भगत कन्हाई भगत सूरज भगत शत्रुघ्न भगत गौतम भगत समेत अन्य माली लीज पर जमीन लेकर फूल की खेती करते हैं।उन लोगों का कहना है कि कोलकाता से दो रुपए प्रति बीज के हिसाब से इस बार पैधे मंगाई गई थी। जैसे ही गेंदा फूल सीजन आया।कोरोना महामारी से लॉकडाउन लग गया। चैत्र नवरात्रि में फूल की बिक्री नहीं हुई। उसके बाद शादी विवाह कैंसिल होने,स्वागत समारोह नहीं होने, मंदिरों में ताला लगने, जुलूस सभा और सेमिनार, अष्टयाम, यज्ञ के आयोजन बंद होने से फूल की बिक्री एकदम बन्द हो गई। बाढ़ और कोरोना के कारण नवरात्र व दशहरा में फूल नहीं बिके चुनाव में फूल कम बिक्री हुई। देर रात चुनाव के काउंटिंग होने से जीत के बाद भी प्रत्याशियों द्वारा माला नहीं खरीदा गया।
लीज पर जमीन,बाढ़ और कोरोना ने कर्ज में डुबाया
गड़ख प्रखंड में फूल की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि लीज पर जमीन लेकर लगभग प्रखंड में 50 एकड़ में विभिन्न जगहों पर फूल की खेती की जाती है।लॉकडाउन के कारण फूल की बिक्री बंद हुई। जैसे ही फूल की बिक्री शुरू हुई दुबारा बाढ़ के पानी आने से फसल को बर्बाद कर दिया बीज को खरीदने के अलावा मजदूर लगाकर उसकी देखभाल की जाती है। परंतु उचित फसल फूल की बिक्री नहीं होने से लाखों रुपए की हो गई है। सरकार द्वारा किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलने के कारण मालियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। आखिरी त्योहार दीपावली बची है। जिसमें कुछ फूल की बिक्री होने की उम्मीद मालियों में बची हुई है।


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