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सिवान में फसल अवशेष प्रबंधन को 13 सदस्यीय कार्य समूह का गठन

सिवान में फसल अवशेष प्रबंधन को 13 सदस्यीय कार्य समूह का गठन

सिवान। जागरुकता और विभागीय सख्ती के बावजूद किसान खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसलिए अब किसानों की जागरुकता पर विशेष जोर दिया जाएगा। साथ ही इन्हें फसल अवशेष प्रबंधन के फायदे भी बताए जाएंगे। जिले के किसानों को जागरूक करने के लिए जिन विभागों को जवाबदेही सौंपी गई है इनमें कृषि विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग, पंचायती राज विभाग तथा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग शामिल हैं।

डीएम समेत 13 सदस्यों के अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन :

जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने बताया कि जिले में फसलों के अवशेष यानी पराली को खेतों में जलाने से रोकने तथा जागरुकता के लिए डीएम की अध्यक्षता में 13 सदस्यों की अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया है। इसमें डीएम को अध्यक्ष और जिला कृषि पदाधिकारी को सदस्य सचिव बनाया गया है। वहीं सदस्यों के रूप में जिला वन पदाधिकारी, अपर समाहर्ता (प्रभारी आपदा), जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला ग्रामीण विकास पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक तथा आत्मा के परियोजना निदेशक समेत 13 पदाधिकारी शामिल है। इसमें सभी विभागों को फसलों का अवशेष जलाने से रोकने के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इन विभागों को दी गई है जिम्मेदारी :

कृषि विभाग : आत्मा व कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करना तथा फसल अवशेष जलाने के बजाए प्रबंधन के लिए वेलर मशीन का प्रयोग व अवशेष का वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए प्रेरित करना।

वन एवं पर्यावरण विभाग : पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जानकारी देकर जागरूक करना।

स्वास्थ्य विभाग : एएनएम व आशा कार्यकर्ता के माध्यम से फसल अवशेष जलाने के कारण मनुष्य खासकर बच्चों को श्वास संबंधित होने वाली बीमारियों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देना है।

शिक्षा विभाग : सरकारी विद्यालयों में फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान से संबंधित शिक्षा देना। साथ ही छात्रों के बीच फसल अवशेष प्रबंधन पर आधारित चित्रकला व वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित करना।

ग्रामीण विकास विभाग : जीविका दीदी और मनरेगा के माध्यम से किसानों व आम लोगों को जागरूक करना।

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग : फसल कटने के बाद अवशेषों व खर पतवार को भेड़-बकरियों को चराने के प्रति पशुपालकों को जागरूक करना। साथ ही भूसा को बेलर मशीन से फॉडर ब्लॉक बनाकर उपयोग करना।

सहकारिता विभाग : पैक्सों तथा प्रखंडों में सहकारिता पदाधिकारी के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक करना।

पंचायती राज विभाग : त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं तथा पंचायत सेवकों के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक करना।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग : प्रचार-प्रसार के माध्यम से फसल अवशेष नहीं जलाने व इसके प्रबंधन के प्रति किसानों को जागरूक करना।