गोपाष्टमी के दिन गाय बछड़ों की पूजा करने से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं
- गाय का दूध तो अमृत कहा गया है। इसमें स्वर्ण मिला होता है जिससे दूध हल्का पीला होता है
- गोपाष्टमी तिथि का समापन- 22 नवंबर, रविवार रात 22 बजकर 51 मिनट तक होगा
विकास कुमार की रिर्पोट। राष्ट्रनाय प्रतिनिधि।
परसा (सारण)। 22 नवंबर को गोपाष्टमी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, गोपाष्टमी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह धार्मिक पर्व गोकुल, मथुरा, ब्रज और वृंदावन में मुख्य रूप से मनाया जाता है।गोपाष्टमी के दिन गौ माता, बछड़ों और दूध वाले ग्वालों की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक पूजा पाठ करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। उन्हें नहलाकर श्रृंगार करते हैं, पैरों में घुंघरू बांधते हैं। गाय की परिक्रमा कर उन्हें चराने बाहर ले जाते है। इस दिन ग्वालों या दूधवालों का भी सम्मान किया जाता है। गोपाष्टमी पर गौपूजन प्रारंभ करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है। सनातन धर्म में गाय को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया।


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