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मंज़र-ए-इसलाम का एक माया नाज़ फ़रज़ंद दुनिया से रुख्सत, रिविलगंज प्रखंड के थे मूलनिवासी

मंज़र-ए-इसलाम का एक माया नाज़ फ़रज़ंद दुनिया से रुख्सत, रिविलगंज प्रखंड के थे मूलनिवासी

आशिफ खान की रिर्पोट। दस्तक प्रभात प्रतिनिधि।

रिविलगंज (सारण) हिन्दुस्तानी मूल के मॉरीशस के शाही ईमाम हजरत अल्लामा शमीम अशरफ़ अज़हरी साहब क़िबला का 80 वर्ष के उम्र में गुरुवार 03 दिसम्बर 2020 को सुबह 09:45 बजे मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस में इंतकाल हो गया। मौलाना शमीम अशरफ़ अज़हरी बिहार के सारण ज़िला के रिविलगंज प्रखंड के खान टोली मुहल्ला के मूल निवासी थें उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई छपरा में ही शुरू हुई उसके बाद वो मजीद तालीम हासिल करने के लिए इलाहाबाद चले गए वहाँ से तालीम पुरी करने के बाद उन्होंने मुबारकपुर अशर्फ़ीयाँ से आलिमियत की तालीम हासिल की उसके बाद मजीद आलिमियत की तालीम हासिल करने के लिए जाम ए अज़हर मिश्र चले गए। मौलाना शमीम अशरफ़ के वालिद हजरत अल्लामा मौलाना नईमुल्लाह खान आलेहीर रहमतों वर रिज़वान हुज़ूर मुजाहिद ए मिल्लत के ख़लीफ़ा थें। मौलाना शमीम चार भाइयों में सबसे बड़े थें उनके दुसरे भाई हजरत मैलाना मुफ़्ती नसीम अशरफ़ हबीबी साउथ अफ़्रीका में इमामत करते है और रज़ा एकेडमी के अध्यक्ष भी हैं तीसरे भाई मौलाना वसीम अशरफ़ हबीबी भी साउथ अफ़्रीका में ही इमामत करते हैं और छोटे भाई हाजी फ़हीम अशरफ़ खान रिविलगंज में ही पुश्तैनी मकान में रहते हैं और मज़हबी काम व समाजसेवा करते हैं।मौलाना शमीम अज़हर साहब मुफ़्ती अख़्तर रज़ा खान अज़हरी साहब क़िबला बरेली शरीफ़ के हमजमात थें और उनके साथ ही जाम ए अज़हर यूनिवर्सिटी मिश्र से आलमियत की शिक्षा प्राप्त किए थें। मिश्र से शिक्षा प्राप्त करने के बाद मौलाना शमीम अशरफ़ मुम्बई के मोती मस्जिद भाईकल्ला में इमामत करते रहें और मदरसा मोहम्मदिया में ख़िदमत करते रहे व फारूकिया कॉलेज मुम्बई में प्रिंसिपल भी रहें उसके बाद मुफ़्ती अज़हरी साहब क़िबला बरेली शरीफ़ और उनके उस्ताद हजरत अल्लामा इब्राहीम रज़ा खान जिलानी मियाँ साहब उन्हें मिश्र की शाही मस्जिद का इमाम मुन्तखब कर मिश्र भेज दिए जहाँ पर वो आख़री वक़्त तक इमामत और इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए इस दुनिया से रुख्सत हो गए। मौलाना शमीम अशरफ़ अज़हरी साहब क़िबला की जनाज़े की नमाज़ कल दिनांक 03 दिसम्बर 2020 को बाद नमाज़ ज़ोहर मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस में ही अदा की अदा की गई और उनको वहीं सुपुर्द ए ख़ाक किया गया। इस आशय की जानकारी उनके छोटे भाई हाजी फ़हीम अशरफ़ खान ने दिया और उन्होंने कहाँ की मौलाना शमीम अशरफ़ अज़हरी साहब के इंतकाल से दुनिया के तमाम सुन्नत वल जमात के लोगों को काफ़ी गहरा सदमा पहुँचा है। उन्होंने तमाम आलम ए इस्लाम से उनके लिए दुआएँ ख़ैर की गुज़ारिश भी किया है।

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