बिहार के सरकारी स्कूलों में कम हुए 40 लाख बच्चें, यू डायस की रिपोर्ट में खुलासा, 5 वर्ष में बच्चों की संख्या में आई करीब 8% की कम
पटना। बिहार के सरकारी तथा सरकार अनुदानित स्कूलों में करीब 40 लाख बच्चे कम हो गए हैं। यह कमी प्रारंभिक स्कूलों में नामांकित विद्यार्थियों की संख्या में आयी है। 40 लाख बच्चे 2014-15 की तुलना में 2018-19 में कम हुए हैं। वर्ष 2014 में 2 करोड़ 6 लाख 49 हजार 462 विद्यार्थी राज्य के सरकारी व अनुदानित स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक में नामांकित थे, जबकि 2018 में यह संख्या 1 करोड़ 66 लाख 84,400 हो गयी। बिहार के स्कूल शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यू डायस) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसकी जानकारी बिहार और केन्द्र के शिक्षा महकमे को भी है। गौरतलब है कि प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने वाले 6 से 14 साल की आयु के बच्चों के लिए बिहार समेत देशभर में बच्चों की अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा कानून (आरटीई) लागू है। इसके तहत सरकारी स्कूलों में इस आयु वर्ग के बच्चों को न तो कोई फीस लगती है, न ही कोई और खर्च होता है। किताब, पोशाक से लेकर मध्याह्न भोजन तक मुफ्त में दी जाती है। इतनी सारी योजनाओं के संचालित होने के बावजूद बच्चों के नामांकन में इतनी बड़ी कमी चिंतित करने वाली है। तसल्ली यह है कि रिपोर्ट बता रही कि इस दौरान निजी स्कूलों में बच्चे बढे़ हैं। यू-डायस की रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में सरकारी तथा निजी स्कूलों को मिलाकर प्रारंभिक में 2,21,33,004 बच्चे नामांकित थे। अगले पांच साल में कुल नामांकन में करीब 26.5 लाख की कमी आ गयी है। शैक्षिक सत्र 2018-19 में कक्षा एक से आठ में कुल नामांकित विद्यार्थियों की संख्या 1 करोड़ 94 लाख 86567 ही है। यू-डायस की पांच साल की रिपोर्ट बताती है कि जहां सरकारी स्कूलों में बच्चे कम हो रहे हैं, वहीं निजी स्कूलों में बच्चे साल-दर-साल बढ़ रहे हैं। 2014 में पहली से आठवीं में राज्य के कुल नामांकित विद्यार्थियों में जहां 93.30% सरकारी में थे तो महज 6.70% निजी स्कूलों में। 2018-19 में दोनों के प्रतिशत में करीब 8% का अंतर आया है। सरकारी स्कूलों में यह प्रतिशत घटकर 85.62 पर तो निजी में यह बढ़कर 14.38 पर पहुंच गया है। यू-डायस की कोरोना काल अर्थात 2020-21 की इंट्री अभी केन्द्र सरकार द्वारा शुरू नहीं हुई है और 2019-20 का ही सर्वे तथा आंकड़ों की इंट्री चल रही है। पर शिक्षा विभाग को भी आशंका है कि कोरोना काल में साढ़े 9 माह की स्कूलबंदी के कारण लाखों की संख्या में छात्र स्कूलों में कम हुए हैं। शिक्षा विभाग को अंतरिम रिपोर्ट भी जिलों से ऐसी ही मिली है, हालांकि सही आंकड़े यू-डायस इंट्री के बाद ही जारी होंगे।


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