जानें पूर्वी लद्दाख के डिसइंगेजमेंट प्लान के बारे में, क्या एलएसी गतिरोध का हल निकल गया?
नई दिल्ली, (एजेंसी)। एलएसी पर पूर्वी लद्दाख से चीनी सेना पीछने हटने लगी है। भारत और चीन के बीच डिसइंगेजमेंट की पूरी प्रक्रिया में दस से 15 दिनों का समय लग सकता है। इस दौरान चीन कोई चालाकी न दिखाए इसके लिए भारतीय सेना की नजर चीन के डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पर लगी हुई है। अब तक हुए डिसइंगेजमेंट को रिव्यू करने के लिए दोनों देशों की सेना के सिनियर कमांडर ने मीटिंग की। अभी दोनों देश लद्दाख के तमाम मोर्चो में से पैंगोंग झील के इलाके में ही डिसइंगेजमेंट को राजी हुए हैं। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के टुकड़े अब फिंगर फोर से पीछे हटेंगे और फिंगर 8 के भी पीछे जाएंगे। पिछले दस महीनों में चीन ने फिंगर फोर तक जो मोर्चा बंदी की है वो सब तोड़ी जाएगी। वहीं भारत अपनी ओरिजनल पोस्ट थानसिंह थापा पर मौजूद होगा। ये पोस्ट फिंगर 3 के पास है जहां इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के जवान मौजूद हैं। डिसइंगेजमेंट के बाद दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी पोजीशन पर जाएंगी और अप्रैल 2020 के स्टेटस को मेंटेन किया जाएगा। भारतीय सेना फिंगर 3 की पोजीशन पर जाकर मेजर धान सिंह थापा पोस्ट पर अपना डेप्लायमेंट रखेगी। वहीं चीन की पिपुल्स लिबरेशन आर्मी अब फिंगर 8 से पीछे यानी शिंजाब और खुर्नाक फोर्ट की तरफ अपने डिप्लायमेंट के साथ होगा। यानी जितने भी चीनी ढांचा जो फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक बनाए गए हैं उसे तोड़ा जाएगा। फिर पीएलए अपनी पोजीशन पर वापस चला जाएगा।
डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया क्या होगी: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की संसद को बताया कि दोनों देश फॉरवर्ड डिप्लॉमेंट हटाएंगे। यानी दोनों देशों की टुकड़ियां एक-दूसरे के बेहद करीब तैनात थीं, वहां से पीछे हटेंगी। चीन अपनी टुकड़ियों को पैंगोंग झील के उत्तरी तट में फिंगर 8 के पूर्व की तरफ रखेगा जबकि भारत अपनी टुकड़ियों को फिंगर 3 के पास परमनेंट थनसिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। तरह की कार्रवाई दोनों पक्षों द्वारा दक्षिण बैंक क्षेत्र में भी की जाएगी। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि फिंगर 3 और फिंगर 8 के बीच का क्षेत्र अस्थायी रूप से नो-पैट्रोलिंग जोन बन जाएगा। जब तक दोनों पक्ष गश्त बहाल करने के लिए सैन्य और राजनयिक चर्चा के माध्यम से एक समझौते पर नहीं पहुंच जाते।
यह क्षेत्र क्यों महत्वपूर्ण है?
मई 2020 के गतिरोध के बाद पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट दो सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र के रुप में उभरकर आए। गतिरोध के पहले हुई झड़पों ने झील के आसपास के क्षेत्रों को संवेदनशील और महत्वपूर्ण बना दिया है। यह उन क्षेत्रों में से एक है जहां चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा से करीब 8 किलोमीटर अंदर तक आ गए थे और पूर्वी लद्दाख में कई जगह तंबू लगा लिए थे। फिंगर 4 से भारतीय सेना फिंगर 8 तक पैदल गश्त करती है। पांच मई के बाद से चीन की सेना फिंगर 4 पर आ गई और अब वह भारतीय सेना को फिंगर 8 तक जाने का रास्ता नहीं देने लगी। चीन फिंगर 4 के आगे जाने की फिराक में था। भारतीय सेना पहले की तरह फिंगर 8 तक गश्त लगाना चाहती लेकिन चीन को इस पर आपत्ति होने लगी। लेकिन अगस्त 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत के जांबाज सैनिकों ने अपनी वीरता से ना केवल चीनी सैनिकों के मंसूबों को विफल कर दिया बल्कि पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर ऊंचाई वाले इलाके को अपने नियंत्रण में ले लिया। भारतीय सैनिकों ने खुद को मगर हिल, मुखपरी, गुरांग और रेजांग ला और रेचिन ला की ऊंचाईयों पर तैनात कर लिया। वर्ष 1962 के बाद से आज तक भारतीय सैनिक कभी उस इलाके में नहीं गए थे। इस कार्रवाई के बाद भारत ने भी अपने सैनिकों को तैनात कर दिया था ताकि उत्तरी बैंक पर चीनी पोजीशन पर नजर रखी जा सके।
भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की वार्ता: 6 जून- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह के नेतृत्व में वार्ता, 22 जून- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह के नेतृत्व में वार्ता, 30 जून- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह ने भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया। 14 जुलाई- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह के नेतृत्व में वार्ता, 2 अगस्त- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह के नेतृत्व में वार्ता, 22 सितंबर- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह, लेफटिनेंट जनरल पीजीके मेनन और विदेश मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी नवीन श्रीवास्तव, 12 अक्टूबर- लेफ्टिनेंट जनरल हरिदर सिंह, लेफटिनेंट जनरल पीजीके मेनन और विदेश मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी नवीन श्रीवास्तव ने वार्ता में भारतीय का प्रतिनिधित्व किया। 6 नवंबर- लेफ्टिनेंट जनरल मेनन और नवीन श्रीवास्तव मीटिंग का हिस्सा बने। 24 जनवरी 2021- लेफ्टिनेंट जनरल मेनन और नवीन श्रीवास्तव मीटिंग का हिस्सा बने। इसके अलावा 4 सितंबर को मास्को में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही के बीच वार्ता हुई। 10 सितंबर को मास्को में ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समकक्ष वांग यी से मॉस्को में वार्ता की।
इसमें इतना समय क्यों लगा? सितंबर के बाद से, चीन ने जोर देकर कहा है कि भारत पहले पंगोंग त्सो के दक्षिणी तट, और चुशुल उप-क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस खींच ले। हालांकि, भारत मांग करता रहा है कि किसी भी तरह की डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में पूरे क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए, और सैनिकों को अपने अप्रैल 2020 के पोजीशन पर वापस जाना चाहिए। हालांकि, ऐसा लगता है कि अब दोनों पक्ष पहलेपोंगोंग त्सो क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट के लिए सहमत हो गए हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन के साथ हुई सैन्य वार्ता में हमने स्पष्ट किया कि हम तीन सिद्धांतो के आधार पर मुद्दे का हल चाहते हैं।


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