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बनमनखी में उत्तर भारत का पहला मॉडल पीपीटीसीटी केंद्र खुलने से जांच में मिलेगी सहूलियत

बनमनखी में उत्तर भारत का पहला मॉडल पीपीटीसीटी केंद्र खुलने से जांच में मिलेगी सहूलियत

  • मॉडल पीपीटीसीटी केंद्र ज़िले के लिए गौरव की बात
  • पीपीटीसीटी पर आने वाले सभी मरीजों को परामर्श के बाद जांच की है  सुविधा उपलब्ध

पूर्णिया (बिहार) ज़िले के बनमनखी अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में उत्तर भारत का पहला मॉडल पीपीटीसीटी केंद्र बनाया गया हैं। जिसका विधिवत उद्घाटन पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार ने किया। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा, बिहार राज्य एड्स कॉन्ट्रोल सोसाइटी के सहायक प्रोजेक्ट निदेशक डॉ अभय प्रसाद, यूनिसेफ़ की चीफ नफ़ीसा बीनते शफ़ीक़, डॉ सिद्धार्थ शंकर रेड्डी, आईसीटीसी के सहायक निदेशक मिथिलेश पाण्डेय एवं पर्यवेक्षक बैजनाथ प्रसाद, एसडीओ बनमनखी नवनील कुमार, आरपीएम नजमुल होदा, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, बनमनखी अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रिंस कुमार सुमन, स्वास्थ्य प्रबंधक अभिषेक कुमार आनंद, यूनिसेफ़ के प्रमंडलीय सलाहकार शिव शेखर आनंद, अहाना के रवि शंकर व गौतम, अनुमंडलीय अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक अभिषेक आनंद, स्वास्थ्य प्रबंधक अविनाश कुमार, प्रसव केंद्र की प्रभारी जीएनएम शैलजा कुमारी, पीपीटीसीटी के काउंसलर रमेश गोस्वामी, लैब टेक्नीशियन गणेश कुमार सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे। प्रसव पूर्व जांच, प्रसव के समय और प्रसव के बाद देखभाल के लिए पीपीटीसीटी सेवाएं मिलने से स्थानीय स्तर से लेकर आसपास के जिले में रहने वालों को बहुत ज्यादा सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। इसे परिवार नियोजन सेवाओं में भी शामिल किया गया है। पीपीटीसीटी सेवाओं में किया जाने वाला प्रयास मुख्य रूप से बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिक विकसित हुआ है। इनके अंतर्गत एचआईवी बाधित महिलाओं से जुड़े विषयों को लेकर स्वास्थ्य विभाग बहुत ज़्यादा सजग हुआ है।

मॉडल पीपीटीसीटी केंद्र ज़िले के लिए गौरव की बात: डीएम

विधिवत उद्घाटन के बाद जिलाधिकारी राहुल कुमार ने बताया अनुमंडलीय अस्पताल में संचालित पीपीटीसीटी सेन्टर में स्थानीय स्तर के अलावा आसपास के इलाकों के मरीजों की जांच की जाती है। इस जांच केंद्र में अभी तक पूर्णिया जिले के बनमनखी, धमदाहा, बड़हरा कोठी, मधेपुरा जिले के मुरलीगंज सहित कई अन्य प्रखंडों से आने वाली  गर्भवती महिलाओं की काउंसिलिंग की जाती थी। इसके साथ ही पड़ोसी ज़िले सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया जिले के भरगामा प्रखंड से आने वाले मरीजों की काउंसिलिंग करने के बाद उसकी जांच की जाती है। पीपीटीसीटी के माध्यम से एड्स से संक्रमित मरीजों  को एक ही छत के नीचे ( सिंगल विंडो ) जांच एवं परामर्श की सुविधा एक स्वस्थ माहौल में मिलनी शुरू हो गई है। अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में ही एक कमरे को सुसज्जित तरीक़े से सजाया गया है जहां पर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। आने वाले हर मरीज को परामर्श के साथ ही एचआईवी जांच कराने वालों के लिए बैठने के लिए एक प्रतीक्षालय कक्ष भी बनाया गया है। जिसमें दो एयर कंडीशनर मशीन लगायी गयी है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को बैठने के लिए दो आरामदायक कुर्सी अलग से लगाई गई है। एक ही कक्ष में ग्लास से घिरे तीन-तीन अलग-अलग काउंटर बनाए गए हैं। जिसमें एक उपकरण  तथा मैटेरियल्स रखने, दूसरे काउन्सिलिंग करने तथा तीसरे में एचआईवी टेस्ट की व्यवस्था की गई है।

पीपीटीसीटी पर आने वाले सभी मरीजों  को परामर्श के बाद जांच की है सुविधा उपलब्ध: सीएस

सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया एचआईवी के संक्रमण के प्रति जागरूकता और इससे बचाव  के लिए वर्ष 2007 में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के द्वारा आईसीटीसी की स्थापना की गई थी। इस पीपीटीसीटी पर आने वाले सभी नारीजों  को काउंसलर के द्वारा परामर्श दी  जाती है। उसके बाद लैब टेक्नीशियन के द्वारा जांच की व्यवस्था की गई है। बनमनखी अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में ही पीपीटीसीटी संचालित हैं। जहां आमजनों के साथ ही गर्भवती महिलाओं की एचआईवी एड्स की जांच करने की सुविधा उपलब्ध है। वयस्कों में एड्स संक्रमण का बढ़ना, एड्स से संबंधित मौत और मां से बच्चोंउ में संक्रमण के बचाव (पीपीटीसीटी ) के आकलन की जरूरतों को एचआईवी आकलन के नतीजे के रूप में प्रस्तुचत किया गया है। ऐसे आकलन की जरूरत इसलिए पड़ती है, क्योंकि ऐसे महत्वपूर्ण संकेतकों को मापने का कोई भरोसेमंद उपाय नहीं है, जिनका इस्तेैमाल दुनिया भर के देशों में एड्स जैसी  महामारी की निगरानी करने और इस दिशा में उठाये जाने वाले कदमों के आकलन के लिए किया जाता है।

एड्स-लाइलाज है-बचाव ही उपचार:

  • जीवन-साथी के अलावा किसी अन्ये से यौन संबंध नहीं रखें।
  • यौन संपर्क के समय कण्डोलम का प्रयोग करें।
  • मादक औषधियों के आदी व्य क्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सुई का प्रयोग न करें।
  • एड्स पीड़ित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्यों कि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को रोग होने की संभावना ज़्यादा होती है।
  • रक्त की आवश्यभकता होने पर अनजान व्ययक्ति का रक्ते न लें।
  • सुरक्षित रक्त के लिए एचआईवी जांच किया रक्तक ही ग्रहण करें।