- जिलाधिकारी ने किया उद्घाटन
- पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची के लाभुकों को नि:शुल्क सेवा
- बिना कार्डधारकों को देना होगा मात्र 1745 रुपये
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
किशनगंज (बिहार)। जिले के सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का शनिवार को जिलाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने उद्घाटन किया| डायलिसिस यूनिट शुरू होने से अब जिले के मरीजों को डायलिसिस के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा| जिलाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने बताया कि सदर अस्पताल परिसर में राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार डायलिसिस यूनिट का शुभारंभ पीपीपी मोड पर किया गया है| अभी दो मशीन स्थापित कर इसे चालू किया जा रहा है। मरीजों की संख्या बढ़ने पर शेष चार मशीनें भी स्थापित की जाएगी। उन्होंने इसे बेहतर तरीके से संचालित करने पर बल दिया। सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया कि अपोलो डायलिसिस प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद यहां पीपीपी मोड पर डायलिसिस यूनिट संचालित करेगी। गरीब व बीपीएल परिवार के मरीजों को निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा मिलेगी| वहीं एपीएल परिवार के मरीज को प्रति डायलिसिस सरकार की ओर से निर्धारित शुल्क 1745 रुपये भुगतान करने होंगे। डायलिसिस यूनिट के उद्घाटन के मौके पर डीआईओ डॉ.रफत हुसैन , डब्लूएचओ के एसएम्ओ डॉ अमित कुमार राव , डीपीएम डॉ मुनाजिमा , जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी शशि भूषण के साथ साथ अन्य पदाधिकारी एवं कर्मी भी मौजूद रहे |
कम राशि में मिलेगी बेहतर सुविधा:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया कि डायलसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फॉस्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। डायलसिस स्थायी और अस्थाई होती है। यदि डायलिसिस के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो डायलिसिस की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो डायलिसिस अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है। ये आरंभ में एक माह से लेकर बाद में एक दिन और उससे भी कम होती जाती है। सदर अस्पताल के भवन में डायलिसिस यूनिट के उद्घाटन के साथ ही मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि निजी क्लीनिक में एक बार डायलिसिस कराने में 4 से 5 हजार रुपये से अधिक खर्च लगता था, लेकिन अब सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट लगने से कम राशि में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी| 95 प्रतिशत किडनी क्षतिग्रस्त होने पर मरीज का डायलिसिस होता है| नतीजतन ऐसे मरीजों को आनन-फानन में पटना या सिलीगुड़ी रेफर करना पड़ता था| यह सुविधा सदर अस्पताल में शुरू होने से अब मरीजों को पटना नहीं भेजना पड़ेगा|
पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) लाभुकों को सरकार द्वारा नि:शुल्क डायलिसिस सेवा :
डायलिसिस यूनिट के डॉ नफीफिश ने बताया कि की यहां पीपीपी मोड़ में प्रोजेक्ट की शुरआत की गयी है। सदर अस्पताल में प्री डायलिसिस और पेड डायलिसिस दोनों सुविधाएं दी जाती हैं। पूर्विक्ता हाउसिंग होल्डर (पीएचएच) सूची में जिन लाभुकों का नाम शामिल है उनके लिए सदर अस्पताल में सरकार द्वारा फ्री सेवा उपलब्ध है। वहीँ अन्य लोगों के लिए मात्र 1745 रुपये में डायलिसिस की सेवा उपलब्ध है। । यहां ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के लोग आते हैं किडनी समस्या को लेकर| जांच की रिपोर्ट के आधार पर यह सुविधाएं उनको प्रदान की जाएगी । उससे पहले मरीज का रजिस्ट्रेशन किया जाता है । फिर इसके बाद विभिन्न प्रकार की जांच करने के बाद उनका ब्लड ग्रुप ,एवं अनेक प्रकार की जांच की जाती है । फिर डायलिसिस की सुविधाएं उनको दी जाती हैं।
रोग के अनुसार महीने में तीन या चार बार डायलिसिस करानी पड़ती:
उन्होंने बताया कि किडनी का काम है ब्लड को फिल्टर करना एवं शरीर के टॉक्सिन को पेशाब से निकालना । जिसको यह समस्या है उसके शरीर में टॉक्सिन पेशाब से बाहर नहीं निकल पाता है। अंदर ही रह जाता है जिसके कारण किडनी में समस्याएं आती हैं। उसे ही मशीन द्वारा ठीक करके डायलिसिस करके बाहर निकाला जाता है। जिसके बाद मरीज अपने आप को स्वस्थ महसूस करता है। परंतु उस मरीज को रोग के अनुसार महीने में तीन या चार बार डायलिसिस करानी पड़ती है। डॉ नफिश ने बताया कि नॉर्मल सीकेडी का पोजीशन स्टेज 5 में आता है, जिन मरीजों का यूरिया सरप्लस 120 से ज्यादा होता है। देखा जाता है कि इलाज के बाद मरीजों की यह रिपोर्ट 4 के करीब तक पहुंच जाती है। वहीं क्रिएटनीन का लेवल 0.62 से बढ़कर 8 प्लस तक पहुंच जाता है। वैसे लोगों को डायलिसिस आवश्यक हो जाता है । डायलिसिस नहीं देने पर मरीज को भूख नहीं लगती ,सांस लेने में दिक्कत होती है, पैर हाथ में सूजन हो जाता है, ऐसे मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता होती है। ब्लड की कमी हो जाती है जिसे बार-बार हीमोग्लोबिन भी चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
डायलिसिस के कई जरूरी इंजेक्शन के साथ आयरन सुक्रोज इंजेक्शन की भी सुविधा:
सदर अस्पताल के इस केंद्र पर डायलिसिस के कई जरूरी इंजेक्शन के साथ ही आयरन सुक्रोज इंजेक्शन दी जाएगी है । यह रोग ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं आने के कारण, बीपी हाई होने के कारण ,हाइपरटेंशन होने के कारण किडनी की समस्याएं अधिकांश होती है ।
यह उपाय करें: –
- मरीज को ब्लड – -शुगर की नियमित जांच कराते रहना चाहिए ।
- बीपी को कंट्रोल करना चाहिए क्योंकि 80 फीसदी परसेंट डायलिसिस वाले मरीज ब्लड शुगर और हाइपरटेंशन के ही होते हैं ।
- अपने डॉक्टर से मिलकर बराबर जांच कराएं
- अपनी बीमारी को हल्के में ना लें
- संतुलित आहार लिया जाए , व्यायाम, व चहलकदमी कर किडनी फेल्योर से बच सकते हैं ।
- कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन,-
- एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
- सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
- अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
- आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
- छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।


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