- ई-संजीवनी पोर्टल, अश्विन पोर्टल, वंडर एप और रेफेरल ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम का हुआ शुभारम्भ
- तकनीक आधारिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य”- मंगल पांडेय
- जीविका एवं स्वास्थ्य विभाग के बीच हुआ एमओयू
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। “स्वास्थ्य विभाग अपनी उपलब्धियों को जनमानस तक पहुंचाने में सोशल मीडिया का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। इससे सभी लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों को समझने में आसानी होगी” उक्त बातें राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को पटना स्थित संवाद भवन में आयोजित स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में कही. मुख्यमंत्री ने कहा सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग प्रखंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के संकल्पित है और इसके लिए सभी जरुरी कदम उठाये जा रहे हैं. बिहार का कोई व्यक्ति किसी मजबूरी के कारण उपचार हेतु दुसरे राज्य में न जाए इसके सारे प्रयास किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाये जा रहे सभी कदम इसे प्रमाणित भी करते हैं.
ई-संजीवनी पोर्टल, अश्विन पोर्टल, वंडर एप और रेफेरल ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम का हुआ शुभारम्भ:
मुख्यमंत्री ने बताया स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर पहुंचाने और उनमे नयी नयी तकनीक का समावेश करना सरकार का प्रयास है. मुख्यमंत्री द्वारा आज ई-संजीवनी पोर्टल, अश्विन पोर्टल, वंडर एप और रेफेरल ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम का हुआ शुभारम्भ किया गया. वंडर कार्यक्रम अंतर्गत गर्भवती महिलाओं का उनके गर्भधारण से लेकर प्रसव काल तक के नियमित तथा आवश्यकता आधारित जांच के आंकड़ों को जांच कर जरुरी चिकित्सीय प्रबंधन में मदद मिलेगी. ई-संजीवनी पोर्टल द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में शुरू हुई इस नवीन व्यवस्था में सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को जिले के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवायें उपलब्ध हो सकेगी. अश्विन पोर्टल द्वारा आशा एवं आशा फैसीलीटेटर द्वारा किये गए कार्यों के एवज में तैयार किये गए दावा प्रपत्र की एंट्री की जाएगी. टोल फ्री नंबर 102 पर कॉल कर एम्बुलेंस सेवा प्राप्त करने के अतिरिक्त अब 102 इमरजेंसी बिहार मोबाइल एप के माध्यम से भी एम्बुलेंस सेवा तत्काल प्राप्त की जा सकती है.
तकनीक आधारिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य:
कार्यक्रम में बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया सभी को तकनीक आधारिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग के उद्देश्यों में से एक है. आज शुरू किये गए तकनीक आधरित सेवाओं से घर- घर तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में मदद मिलेगी और मरीज एवं उनके रोग का त्वरित प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी. पिछले तीन माह में स्वास्थ्य विभाग ने कई कदम उठाये हैं जिनमे बाल ह्रदय योजना, कैंसर के मरीजों की पहचान एवं उनका प्रबंधन, राज्य के 15 जिला अस्पतालों में डैलेसिस की सुविधा एवं 21 अस्पतालों में सीटी स्कैन की सुविधा इनमे से कुछ कदम हैं.
जीविका एवं स्वास्थ्य विभाग के बीच हुआ एमओयू:
कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य समिति एवं जीविका के बीच “दीदी की रसोई” कार्यक्रम संचालन से संबंधित एमोयू पर हस्ताक्षर किया गया. इसके तहत राज्य के सभी जिला अस्पतालों में मरीजों एवं उनके परिजनों को स्वच्छ एवं पौष्टिक भोजन जीविका द्वारा संचालित दीदी की रसोई द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा. अभी राज्य के 7 जिला अस्पतालों में जीविका द्वारा दीदी की रसोई सुविधा मुहैय्या करायी जा रही है. कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, मनोज कुमार एवं बालामुरुगन डी. सचिव ग्रामीण विकास विभाग ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये. इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा चुनिंदा जिलों की एएनएम एवं लाभार्थियों से संजीवनी पोर्टल के माध्यम से बात की गयी. कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री रेनू देवी, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समीति मनोज कुमार के साथ साथ वरीय अधिकारीगण, आशा कार्यकर्ता, जीविका समूह की दीदियाँ एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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