राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

बच्चों के अधिकारों के प्रति एडवोकेसी के महत्व पर 200 से ज़्यादा युवाओं को जागरूक करने के लिए चाइल्ड राइट्स सेंटर-यूनिसेफ़ द्वारा कार्यशाला का आयोजन

  • एडवोकेसी टू एक्शन: बाल अधिकारों के लिए युवा हुए एकजुट

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

पटना (बिहार)। सार्वजनिक नीति के निर्माण को प्रभावित करने के लिए एडवोकेसी बहुत महत्वपूर्ण है. एडवोकेसी से एक व्यक्ति या लोगों के समूह के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने और विचार बदलने में मदद मिलती है.  इसके लिए यह जरूरी है कि हमारे पास विषय के बारे में पर्याप्त जानकारी हो. हम सभी जानते हैं कि हमारे बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं. बच्चे अपने अधिकारों के बारे में पूर्ण से जागरूक नहीं होते हैं और ना ही वह इस बारे में कोई कदम उठाने में सक्षम होते हैं। इसलिए हमें बड़ों को उनकी मदद करनी चाहिए. उक्त बातें चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की कुलपति न्यायमूर्ति मृदुला मिश्रा ने एक ऑनलाइन ओरिएंटेशन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही. इस कार्यक्रम, “फ्रॉम एडवोकेसी टू एक्शन – यूथ यूनाइट फॉर चाइल्ड राइट्स” का आयोजन चाइल्ड राइट्स सेंटर, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और यूनिसेफ बिहार द्वारा किया गया था।

यूनिसेफ बिहार की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि हमें हर बच्चे के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने की जरूरत है। जैसा कि महात्मा गाँधी ने कहा था – “जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते हैं, आप खुद वो बदलाव अपने में लाइए”, हमें भी बदलाव की शुरुआत अपने घर से ही करनी चाहिए. उन्होंने इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया. आगे उन्होंने कहा कि युवा समूह बना कर इस दिशा में प्रभावी ढंग से कार्य किया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर BachcheAageBiharAage, KidsTakeOver, WorldChildrensDay, ReImagine  जैसे हैशटैग का भी उपयोग किया जा सकता है. यूनिसेफ़ द्वारा सिविल सोसाइटी व अन्य हितधारकों के सहयोग से शुरू किए गए YUWAAH! पहल जिसके तहत युवाओं के कौशल विकास एवं करियर निर्माण का कार्य किया जा रहा है के अलावा बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स जैसे युवा समूह एडवोकेसी के ज़रिए बच्चों के अधिकारों को लेकर सराहनीय काम कर रहे हैं।

सीआरसी की सेंटर कोऑर्डिनेटर, शाहीना अहलुवालिया ने कहा कि सामान्य लोगों को बाल अधिकारों के बारे में संवेदनशील करना बेहद आवश्यक है. अगर आप अपने आस-पास किसी बच्चे को बाल श्रम में लिप्त पाते हैं, तो चाइल्ड लाइन नंबर 1098 पर कॉल कर सकते हैं. आपकी एक छोटी कोशिश एक बड़े बदलाव का वाहक बन सकती है।

सेव द चिल्ड्रन की कैंपेन प्रमुख, प्रज्ञा वत्स ने कहा कि देश की 40 प्रतिशत आबादी बच्चों की हैं. हम उनकी भागीदारी के बिना देश के भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक बच्चा अपने अधिकारों को जाने और इसका उपयोग करें. आगे उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान, 300 मिलियन से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा सके. बच्चे के अधिकारों की रक्षा के लिए एकीकृत आवाज़ की आवश्यकता है. उन्होंने एडवोकेसी अभियान की सफलता के लिए सोशल मीडिया की प्रासंगिकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि हमारी संस्था ने मशहूर रिटेल मार्केटिंग चैन स्नैपडील के साथ मिलकर जुलाई 2020 में #KidsNotForSale अभियान चलाया था जिससे बच्चों की तस्करी को लेगर जागरूकता फ़ैलाने में काफी मदद मिली. उनके द्वारा प्रतिभागियों को एडवोकेसी पर आधारित एक विडियो भी दिखाया गया।

यूनिसेफ बिहार के योजना निगरानी एवं मूल्यांकन विशेषज्ञ, प्रसन्ना ऐश ने कहा कि हम सभी एक पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं. नीति और नियमों में किसी भी प्रकार के बदलाव के लिए जरूरतों को समझना महत्वपूर्ण है. उन्होंने एडवोकेसी के संदर्भ में डाटा और डाटा के सही इंटरप्रीटेशन पर बल दिया. साथ ही, उनके द्वारा सही सूचनाओं के लिए विश्वस्त स्रोत से ही आंकड़े लेने पर ज़ोर देते हुए कहा कि एनएफ़एचएस, यू-डाइस, नीति आयोग वेबसाइट, सेन्सस आदि से सूचनाएं एकत्रित करने के बारे में विस्तार से बताया. जब तक हम नीति बनाने के स्तर पर कदम नहीं उठाते, तब तक बदलाव नहीं लाया जा सकता।

इस कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 टीकाकरण पर एक विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें यूनिसेफ बिहार के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सिद्धार्थ रेड्डी और एम्स, पटना के डॉ सी एम सिंह ने कोविड के टीके से जुड़े मिथकों के बारे में बताया और प्रतिभागी छात्र-छात्राओं के सवालों का भी जवाब दिया।

इसके बाद प्रतिभागियों के लिए एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया जिसमें सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए. बच्चों के अधिकार के लिए कार्य करने वाली नेहा भारती ने कहा कि कई बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में पता नहीं होता है. हम सभी को उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करना चाहिए. साथ ही, प्रतिभागियों ने एक ऑनलाइन क्विज में भी हिस्सा लिया। बिहार बाल भवन किलकारी की मिनी मलिक ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला का आयोजन समय-समय पर किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना, एमिटी यूनिवर्सिटी, पटना, विमेंस कॉलेज समेत अलग-अलग राज्यों के 200 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। सीआरसी की सेंटर कोऑर्डिनेटर, शाहीना अहलुवालिया ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम को मॉडरेट किया तथा सीआरसी के चंदन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।