राष्ट्रनायक न्यूज

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जिले में मनाया गया विश्व श्रवण दिवस

  • लोगों को श्रवण दोष के लक्षणों की दी गई जानकारी
  • बहरेपन की रोकथाम के लिए लोगों को मिला संदेश
  • तेज ध्वनि से सतर्क रहकर बहरेपन से करें बचाव
  • हर वर्ष 03 मार्च को मनाया जाता है विश्व श्रवण दिवस

पूर्णिया (बिहार)। बढ़ती आपाधापी और आधुनिकता ने देश में ध्वनि प्रदूषण की समस्या में इजाफा कर दिया है। आजकल हर तरफ किसी न किसी मशीन, गाड़ी या डीजे पर चल रहे गाने की तेज ध्वनि सुनी जा सकती है जो लोगों के सुनने की क्षमता को कम कर रहा है। नियमित तेज ध्वनि के सुनने से व्यक्ति बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। लोगों को बहरेपन की जानकारी देने और ध्वनि तरंगों के प्रति जागरूक करने के लिए जिले में विश्व श्रवण दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में लोगों को सुनने की समस्या के लक्षणों की जानकारी देने के साथ ही बहरेपन से रोकथाम की भी जानकारी दी गई।

प्रतिवर्ष 03 मार्च को मनाया जाता है विश्व श्रवण दिवस :

सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि श्रवण दोष से बचाव एवं सुनने की क्षमता का ध्यान रखने हेतु आमलोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 03 मार्च को विश्व श्रवण दिवस (वर्ल्ड हियरिंग डे) का आयोजन किया जाता है। आज विश्व की एक बड़ी आबादी जिसमें बच्चे एवं वयस्क भी शामिल हैं, इस बीमारी से प्रभावित हैं । बहरेपन की समस्या से निपटने के लिए समय रहते इस बीमारी का उपचार किया जाना आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 63 लाख लोग श्रवण समस्या से ग्रसित हैं। इसमें 7.6 प्रतिशत वयस्क के साथ ही 2.0 प्रतिशत बच्चे भी शामिल हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए लोगों को श्रवण क्षमता की जानकारी होना जरूरी है जिसके लिए प्रतिवर्ष 03 मार्च को श्रवण दिवस मनाया जाता है।

तेज ध्वनि से सतर्क रहकर बहरेपन से करें बचाव :

जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी सह नोडल डॉ. वी.पी. अग्रवाल ने बताया कि बहरेपन की समस्या से बचने के लिए लोगों को तेज ध्वनि के प्रति सतर्क रहना होगा। आजकल हर तरफ तेज ध्वनि सुनी जा सकती है। शहरों में विभिन्न मशीनों की आवाज, वाहनों में अत्यधिक आवाज वाले स्पीकर, शादी-समारोह में डीजे की तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण में इजाफा करता है, जो लोगों के बहरेपन का कारण बनता है। अत्यधिक ईयरफोन का इस्तेमाल भी लोगों को बहरेपन का शिकार बनाता है। इससे बचने के लिए लोगों को ध्वनि तरंगों की प्रबलता का ध्यान रखना जरूरी है। कम ध्वनि का उपयोग करने से ही सामान्य लोग बहरेपन की समस्या से बचे रह सकते हैं।

जानिए क्या हैं श्रवण दोष के लक्षण :

डॉ. वी.पी. अग्रवाल ने बताया कि बहरेपन की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। इसके लक्षणों को पहचान कर समय पर इसके इलाज कराने से लोग इससे ठीक हो सकते हैं।

विभिन्न लक्षणों द्वारा इसकी पहचान की जा सकती है। श्रवण दोष के प्रमुख लक्षण निम्न हो सकते हैं:

  • कान में दर्द अथवा कान का बहना
  • कानों में झनझनाहट का महसूस होना
  • शोर के बीच बात समझने में परेशानी का होना
  • यह मानना कि आसपास के लोग ठीक से नहीं बोल रहे
  • सुनने में कठिनाई का होना

बहरेपन की रोकथाम हेतु लोगों को दिया गया सन्देश :

  • टीवी, रेडियो, ईयरफोन,पटाखे या संगीत की तेज ध्वनि से अपने कानों को बचाएं रखें।
  • कानों को चोट लगने से बचाएं क्योंकि यह कान के परदों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • कानों में गंदे पानी के प्रवेश होने से बचाएं।
  • कानों में तेल या कोई नुकीली वस्तु, माचिस की तीली, तिनकों का प्रयोग न करें।
  • कानों से रिसाव/रक्त आने या बार-बार दर्द होने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
  • अप्रशिक्षित व्यक्ति अथवा सड़क किनारे नीम म-हकीम द्वारा कान साफ करवाने से बचें।
  • गर्भावस्था में महिलाएं दवा लेने से पहले चिकित्सक से सलाह लें। बिना चिकित्सकीय सलाह के दवा लेने से नवजात बच्चे श्रवण दोष के शिकार हो सकते हैं।
  • बच्चों का नियमित टीकाकरण करवाएं। गलसुआ(मम्स) और खसरा जैसे रोग बच्चों के बहरेपन का कारण हो सकते हैं।
  • विद्यालय जाने वाले बच्चे अगर कम दूरी से भी शिक्षकों की आवाज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं तो चिकित्सक से संपर्क करें।
  • श्रवण दोष वाले बच्चों को अन्य बच्चों से मिलने हेतु प्रोत्साहित करें। यह मनोवैज्ञानिक एवं संचार कौशल विकसित करने में सहायक होगा।
  • 60 वर्ष की आयु के पश्चात वर्ष में एक बार श्रवण जांच जरूर करवाएं। विशेषकर अगर बातचीत के दौरान शब्दों की पुनरावृत्ति करनी पड़े।