राष्ट्रनायक न्यूज

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्‍वदेशी शिक्षा की मशाल लेकर आगे बढ़ने का संकल्‍प : प्रो फारूक अली, कुलपति जे पी यू

संजय पाण्डेय की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

छपरा (सारण)। गुरुवार को भारतीय शिक्षण मंडल, नीति आयोग एवं जय प्रकाश विश्वविद्यालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की उद्धघाटन करते हुए जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर फारूक अली ने अपने अध्यक्षीय भाषण में  कहा कि   राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का संदर्भ देते हुए स्‍वदेशी शिक्षा की मशाल लेकर आगे बढ़ने का संकल्‍प है। शोध आधारित शिक्षा में नवाचार पर चर्चा की जरूरत जताते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को उपयोगी बताया। वेबीनार में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्‍न आयामों पर सारगर्भित चर्चा की गयी।

राष्ट्रीय  शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का जिम्मा शिक्षकों पर:-चंदेल

वेबीनार के आयोजन सचिव भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत सह मंत्री विश्वजीत सिंह चंदेल ने कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने शुरुआत करते हुए कहा कि राष्‍ट्रीय  शिक्षा नीति के क्रियान्‍वयन का जिम्‍मा शिक्षकों पर  है। उसके बाद इसका जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो फारूक अली प्रतिकुलपति प्रो लक्ष्मी नारायण सिंह ,कुलसचिव कर्नल श्याम नन्द झा, परीक्षा नियंत्रक प्रो अनिल सिंह, प्रान्त सह मंत्री विश्वजीत सिंह चंदेल सहित अन्य पदाधिकारियों के द्वारा आरंभ दीप प्रज्वलित करके किया गया ।भारतीय शिक्षण मंडल, छपरा के द्वारा डॉ कृष्ण कुमार मिश्रा द्वारा मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद  विश्वविद्यालय की ओर से स्वागत परिचय कुलसचिव कर्नल श्यामानंद झा ने आभासी वेबीनार में आगत अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत मंत्री हिमांशु कुमार वर्मा ने भारतीय शिक्षण मंडल का एक परिचय दिया।

विद्यार्थियों की क्षमताओं का विनियोग कर शिक्षण विधि में परिवर्तन करने की आवश्यकता :- प्रति कुलपति

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जयप्रकाश विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफ़ेसर लक्ष्मी नारायण सिंह ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षकों को स्‍वतंत्रता देती है। इसके क्रियान्‍वयन में शिक्षकों पर अधिक जिम्‍मेदारी है। विद्यार्थियों की क्षमताओं का विनियोग कर शिक्षण विधि में परिवर्तन करने की आवश्‍यकता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षकों को जितनी स्वतंत्रता दी है उतना ही उनका उत्तरदायित्भी:- प्रो.  मनोज दीक्षित

मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति प्रो.  मनोज दीक्षित ,राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय अयोध्या ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षकों के पुराने गौरव को प्राप्‍त करने के लिए लायी गयी है। शिक्षक ही इस नीति के केंद्र में हैं। परिवर्तन के वाहक और स्रोत भूमि के रूप में शिक्षकों को इसे स्‍वीकार करना होगा और इसके लिए शिक्षको को भगीरथ यत्‍न करने होंगे। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षकों को जितनी स्‍वतंत्रता दी है उतना ही उनका उत्तरदायित्‍व भी बढ़ गया है। इस नीति के केंद्र में केवल और केवल शिक्षक है। हमें राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को परिवर्तनगामी बनने का संकल्‍प लेना होगा। उन्‍होंने कहा कि समाज और विद्यार्थियों के सपनों को साकार करने तथा मशीन नहीं अपितु मनुष्‍य बनाने की बड़ी जिम्‍मेदारी शिक्षकों पर आ गयी है।

शिक्षकों को ऋषि की भांति अपना योगदान देना होगा:-डॉ. मुकुल कानिटकर

वीडियो संदेश के माध्‍यम से संबोधित करते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. मुकुल कानिटकर ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्‍वयन की दृष्टि से नीति आयोग ने भारतीय शिक्षण मंडल को अहम जिम्‍मेदारी दी है और इस क्रम में पूरे भारत में वेबिनार और चर्चाएं आयोजित की जा रही हैं। उन्‍होंने कहा कि इस नीति का क्रियान्‍वयन शिक्षकों के हाथों में है और इसके लिए शिक्षकों को ऋषि की भांति अपना योगदान देना होगा। हमें नालंदा और तक्षशिला जैसी शिक्षा व्‍यवस्‍था लानी होगी और शिक्षा का भारतीयकरण करना होगा।

भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन एक महत्वपूर्ण पहलू:-प्रोफेसर राजनाथ यादव

मुख्य अतिथि प्रोफेसर राजनाथ यादव कुलपति पुर्निया यूनिवर्सिटी ने कहा कि भारत को विश्‍वगुरु बनाने के लिए राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्‍वयन एक महत्‍वपूर्ण पहलू है। इसे लागू करने में आने वाली चुनौतियों को ध्‍यान में रखते हुए शिक्षकों को जागरूक करना आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि देशभर में एक हजार से अधिक आयोजनों के माध्‍यम से जागरूकता लाने का कार्य किया जा रहा है। इसका प्रारूप बनाकर नीति आयोग को प्रदान किया जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन नोडल पदाधिकारी डॉक्टर मोहम्मद सरफराज अहमद ने किया राष्ट्रगान के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ विश्वामित्र पांडेय, डॉ हरिश्चन्द, डॉ धनंजय आजाद, समेत 200 से अधिक शिक्षक इस कार्यक्रम जे जुड़े रहे।

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