राष्ट्रनायक न्यूज।
पटना (बिहार)। पहाड़ से गिरने वाले पानी को जमा कर खेतों की सिंचाई होगी। इससे सिंचाई की समस्या तो दूर होगी ही पहाड़ों पर भी हरियाली बढ़ेगी। मिट्टी रिचार्ज होगी सो अलग। इसके लिए लघु जल संसाधन विभाग 100 गारलैंड ट्रेंच (माला आकार की नाली) बनाएगा। इससे देशभर में मशहूर कैमूर के मोकरी का गोविंद भोग चावल अब हर पहाड़ी क्षेत्र में हो सकेगा।
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत लघु जल संसाधन विभाग ने नए वित्तीय वर्ष में एक सौ गारलैंड ट्रेंच बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए जल्द विभाग वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग को इसकी जानकारी देगा। साथ ही, वहां से अनुमति लेकर काम शुरू करेगा। इसके अलावा पठारी भाग में भी बड़ा जल संचयन योजना बनाने की विभाग की तैयारी है। गारलैंड ट्रेच से वैसे इलाकों में सिंचाई की बड़ी समस्या दूर होगी जहां पानी की कमी रहती है।
मैदानी भाग के आहर, पोखर और पइन की चल रही उड़ाही योजना के बाद अब सरकार ने पहाड़ी इलाकों में भी सिंचाई की व्यवस्था करने पर काम शुरू कर दिया है। पहाड़ की तलहट्टी में जहां से समतल भूमि शुरू होती है, वहां सरकारी जमीन होती है। रैयती जमीन और पहाड़ों के बीच इसी जमीन पर वह संरचना बनेगी, जिसमें पानी संरक्षित किया जाएगा। जमीन चिह्नित करने के बाद पहाड़ों का पानी रोकने की व्यवस्था होगी। उसी पानी से खेतों की सिंचाई होगी। पानी जमा होने से पहाड़ों पर हरियाली भी बढ़ेगी। गर्मी के दिन में पहाड़ के जो पौधे सूख जाते हैं मिट्टी रिचार्ज होने से उनमें नमी बनी रहेगी और पूरा इलाका हर-भरा रहेगा।
पहाड़ों से निकलने वाले पानी में केमिकल होता है। पहाड़ों पर जो पौधे उगते हैं उनमें जड़ी-बूटी होती है। उन्हीं पौधों से होकर पानी गुजरता है। ऐसे में पानी की गुणवत्ता काफी बेहतर होती है। यह पानी खेतों में लगी फसल के साथ मानव स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है। कैमूर जिले के मोकरी इलाके का गोविंद भोग चावल की मांग कुछ ऐसे ही कारणों से देशभर में होती है। मोकरी के एक नाले से पहाड़ का पानी आता है। उसी नाले के आसपास की जमीन में उपजे इस धान में कुछ अलग सुगंध होती है। साथ ही इसकी गुणवत्ता भी काफी बेहतर होती है। विभाग अगर गारलैंड ट्रेंच बना देगा तो मोकरी का चावल हर पहाड़ी क्षेत्र में होने लगेगा।


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