- प्रसव पूर्व तैयारी, बच्चों और किशोरियों में एनीमिया रोकथाम पर हुई चर्चा: डीपीओ
- प्रशिक्षण में इंक्रीमेंटल लर्निंग अप्रोच के तीन मॉड्यूल को लेकर विस्तृत रूप से की गई चर्चा: निधि प्रिया
- गर्भवती महिलाओं के प्रसव दौरान सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधा उपलब्ध: सुधांशु
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
पूर्णिया (बिहार)। समेकित बाल विकास परियोजना कार्यालय के सभागार में जिला संसाधन समूह के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें ज़िले के सभी प्रखंडों के बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों के अलावा महिला पर्यवेक्षिका व पोषण अभियान से जुड़े कर्मियों ने भाग लिया। इस दौरान डीपीओ शोभा रानी, राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला समन्वयक निधि प्रिया, जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार, ज़िले की सभी सीडीपीओ सहित कई अन्य अधिकारी व कर्मी मौजूद थे।
प्रसव पूर्व तैयारी, बच्चों और किशोरियों में एनीमिया रोकथाम पर हुई चर्चा:
आईसीडीएस की ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी शोभा रानी ने बताया हर गर्भवती माता का सुरक्षित प्रसव कराने एवं प्रसव के बाद देखभाल सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष एक लाख जीवित बच्चों के अनुपात में मातृ मृत्यु दर में कम करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रसव पूर्व तैयारी, बच्चों और किशोरियों में एनीमिया की रोकथाम पर हुई चर्चा के दौरान सभी प्रतिभागियों को गर्भावस्था से लेकर प्रसव के 42 दिनों के अंदर महिलाओं की मृत्यु से संबंधित विभिन्न तरह के आंकड़ों के साथ विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं के मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मातृ-मृत्यु दर में लगातार कमी आ रही है। वर्ष 2019-20 के दौरान 110 व 2020-21 ( फ़रवरी ) तक 91 गर्भवती महिलाओं की मृत्यु हुई है। हालांकि यह आकंड़ा पहले की अपेक्षा बहुत ही कम हुआ है। क्योंकि गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच यानी एएनसी का कार्य ज़िले में लगातार किया जा रहा है। गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार बार एएनसी जरूरी है।
प्रशिक्षण के दौरान इंक्रीमेंटल लर्निंग अप्रोच के तीन मॉड्यूल को लेकर विस्तृत रूप से की गई चर्चा:
राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला समन्यवक निधि प्रिया ने बताया दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में इन्क्रिमेंटल लर्निंग एप्रोच के तीन मोड्यूल 16, 17 एवं 18 पर चर्चा की गयी। यह भी बताया पहले स्टेट लेवल पर एसआरजी की ट्रेनिंग होती है। फिर जिला स्तर डीआरजी ट्रेनिंग का आयोजन होता है। अंतिम चरण में मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग लेकर जाएंगे, वह फिर प्रखण्ड स्तर पर बीआरजी का आयोजन करेंगे। एक बार में एक ही बीआरजी का आयोजन किया जाता है और इसमें 15 दिनों का अंतराल रखा जाता है, ताकि इस बीच सेक्टर स्तर पर भी बैठक हो सके। एक बार में एक मोड्यूल की ट्रेनिंग होगी , फिर 15 दिन बाद दूसरे मोड्यूल एवं पुनः 15 दिन बाद तीसरे मोड्यूल की ट्रेनिंग होगी । इस प्रकार यह 45 दिन की ट्रेनिंग मॉड्यूल बीआरजी के लिए होगी ।
गर्भवती महिलाओं के प्रसव दौरान सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधा उपलब्ध:
पोषण अभियान के जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार ने बताया कि प्रसव पूर्व गर्भवती महिलाओं का ब्लडप्रेशर, नब्ज, तापमान, हीमोग्लोबिन, मलमूत्र में ग्लूकोज की मात्रा और गर्भस्थ शिशु के हृदय गति की जांच की जाती है। ताकि नवजात शिशु पूरी तरह से स्वस्थ व सुरक्षित रहे। प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को दवा, कॉटन या पैड्स की व्यवस्था पहले से उपलब्ध रहती है। प्रसव के समय और उससे पूर्व स्वास्थ्य केंद्रों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बुनियादी स्तर पर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।


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