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शुरुआती स्तनपान से शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास

शुरुआती स्तनपान से शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास

  • 6 माह तक सिर्फ शिशु को कराएं सिर्फ स्तनपान
  • निमोनिया एवं डायरिया से बचाव के लिए नवजातों का रखें विशेष ध्यान
  • कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भी नवजात शिशुओं का रखें विशेष खयाल

पूर्णियाँ। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देने पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए नवजात शिशुओं को होने वाले बीमारियों से बचाने के लिए विशेष तौर पर ध्यान रखने की जरूरत होती है. जन्म के शुरुआती 2 घंटे के भीतर शिशु को स्तनपान कराना जरूरी होता है. इसके बाद 6 माह तक शिशु को केवल माँ का ही दूध दिया जाना चाहिए. इससे शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और वे स्वास्थ्य रहते हैं. 6 माह के बाद शिशुओं को ऊपरी आहार दिया जा सकता है. स्तनपान शिशुओं को होने वाले निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों से भी बचाव करता है. इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण से भी बचाव के लिए शिशुओं के विशेष खयाल रखना चाहिए. ऐसे समय में जरा सी भी लापरवाही से नवजात शिशुओं को संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिए शिशुओं के साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है.

स्तनपान से शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास :
जन्म के तुरंत बाद शिशुओं को स्तनपान कराया जाना चाहिए. डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआती 2 घंटे तक शिशु काफी सक्रिय अवस्था में होता है. इस दौरान स्तनपान कराने से शिशु आसानी से स्तनपान कर सकता है. नियमित स्तनपान से शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. इसलिए जन्म के बाद से 6 माह तक शिशु को केवल माँ का दूध ही देना चाहिए. इस दौरान उन्हें ऊपरी आहार या बोतल से दूध नहीं देना चाहिए. नियमित रूप से माँ का दूध पीने से न सिर्फ शिशु का बल्कि इससे माँ के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है.

नियमित स्तनपान से निमोनिया एवं डायरिया जैसे रोगों से होता है बचाव :
शिशु के लिए 1 घंटे के भीतर माँ का पीला दूध एवं स्तनपान बेहद जरूरी होता है. स्तनपान शिशु को निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव करता है. लेंसेट 2016 के रिपोर्ट के मुताबिक स्तनपान से शिशुओं में 54 प्रतिशत डायरिया के मामलों में कमी आती है. इसी रिपोर्ट द्वारा यह भी कहा गया है कि बेहतर स्तनपान 1 साल में विश्व स्तर पर 8.20 लाख बच्चों की जान बचाता है. इसके अलावा नवजात शिशुओं में निमोनिया का अधिक ख़तरा होता है. इसलिए बच्चों को निमोनिया से बचाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों को निःशुल्क पीसीवी का टीका लगाया जाता है. इसके लिए आरोग्य दिवस पर होने वाले टीकाकरण में बच्चों को निमोनिया का टीका जरुर लगवाना चाहिए.

कोरोना संक्रमण से बचाव का भी रखें ध्यान :
अभी के समय में नवजात शिशुओं को कोरोना संक्रमण से बचाव पर भी ध्यान देना जरूरी है. इसके लिए शिशु के साफ-सफाई का विशेष रूप से खयाल रखें. उन्हें घर पर भी किसी ऐसे खुले स्थान पर न छोड़े जहाँ अन्य लोग उपस्थित हो. अगर कोई व्यक्ति बाहर से आ रहा हो तो शिशुओं को उनसे दूर रखें. उन्हें छूने से पहले हैंड वाश जरूर करें.

स्तनपान संबंधी भ्रांतियों से रहें दूर :
जिला सिविल सर्जन डॉ मधुसूदन प्रसाद ने बताया कि शुरूआती समय में एक चम्मच से अधिक दूध नहीं बनता है. यह दूध गाढ़ा एवं पीला होता है. जिसे क्लोसट्रूम कहा जाता है. इसके सेवन करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. लेकिन अभी भी लोगों में इसे लेकर भ्रांतियाँ है. कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझकर शिशु को नहीं देने की सलाह देते हैं. दूसरी तरफ़ शुरूआती समय में कम दूध बनने के कारण कुछ लोग यह भी मान लेते हैं कि माँ का दूध नहीं बन रहा है. यह मानकर बच्चे को बाहर का दूध पिलाना शुरू कर देते हैं. जबकि यह केवल सामाजिक भ्रांति है. बच्चे के लिए यही गाढ़ा पीला दूध जरुरी होता है एवं माँ का शुरूआती समय में कम दूध बनना भी एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही है.

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