प्रो. संजय पाण्डेय। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। जयप्रकाश विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई जगलाल चौधरी महाविद्यालय के आधा दर्जन से अधिक शिक्षकों ने अपने प्रचार्य डॉ रामानंद राम पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। शिक्षकों का आरोप है कि विगत 1 सप्ताह से जगलाल चौधरी महाविद्यालय में 3 शिक्षक कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं तथा 2 शिक्षकों का जांच प्रतीक्षित है। लगभग एक तिहाई शिक्षकों को कोरोना संक्रमण होने पर महाविद्यालय के शिक्षकों ने प्राचार्य से निवेदन किया कि महाविद्यालय परिसर को सैनिटाइजेशन कराया जाए तथा बचाव के उपाय किए जाए । उन लोगों का आरोप है कि इस अनुरोध के जवाब में प्राचार्य ने शिक्षकों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया तथा वेतन काटने की धमकी देते हुए शो कॉज किया। उपस्थित शिक्षकों को अनुपस्थित कर स्पष्टीकरण मांगा गया। उन्हें कोरोना संक्रमित कक्ष में बैठने को कहा गया। शिक्षकों द्वारा वहां बैठने से इनकार करने पर अन्य सभी कमरे को बंद कर उन्हें जमीन पर बैठने को विवश किया गया। शिक्षकों का आरोप है कि प्राचार्य ने जूलॉजी विभाग की महिला शिक्षिका पुष्प लता हंस दत्त के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। जिस कारण वह रोने लगी। शिक्षकों ने कहा कि वे इस कोरोना काल में भी प्राचार्य के व्यवहार से अत्यंत निराश हो गया हम लोग भयाक्रांत हैं कि ना जाने की साजिश के तह शिक्षकों को किस प्रकार प्रताड़ित किया जाएगा।
क्या कहते हैं प्राचार्य
इस बाबत जगलाल चौधरी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रामानंद राम से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि आरोप बेबुनियाद है।माहाविद्यालय के हर क्षेत्र को सेनेटाइज कराया गया है। यह ज्यादातर शिक्षक भगोड़े हैं तथा कोरोने का बहाना बनाकर के महाविद्यालय नहीं आना चाहते हैं ।जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने महाविद्यालय को खोल के रखा है तथा नियमानुसार जितने शिक्षकों को आना चाहिए उनको आने का आदेश निर्गत किया गया है। बावजूद ए सिक्षक यहां पर नहीं आ रहे हैं। उन्होंने डॉ अनिल कुमार शिक्षक का नाम रखते हुए बताया कि इनके चाचा का एक्सीडेंट हुआ था और चले गए। 25 दिनों तक नहीं आए। अपने चाचा के एक्सीडेंट और मौत में रह गए और आने के बाद इन्होंने अपना अटेंडेंस बना दिया ।वही डॉक्टर संदीप कोरोना पीड़ित होने के बावजूद भी वे अपने मुख्यालय में मे न रह करके सिवान एवं वाराणसी घूम रहे हैं यदि वह कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं तो उनके अपने मुख्यालय में कोरेंटिन होना चाहिए। पचार्य ने यह भी बताया कि मुख्यालय छोड़ने से पहले अपने वरीय को बताना अनिवार्य रहता है जबकि यह लोग बिना बताए मुख्यालय छोड़ देते हैं। फोन करने पर बहुत से शिक्षक फोन उठाते ही नहीं है तथा बाद में भी अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर देते हैं।


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