राष्ट्रनायक न्यूज। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे पक्षी जगत के एक अति सुंदर और गौरवपूर्ण पक्षी हुकना को बड़ी राहत मिलेगी। शीर्ष अदालत ने गोडावण के संरक्षण के लिए राजस्थान और गुजरात में बिजली के तारों को भूमिगत करने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला, एक याचिका की सुनवाई के संदर्भ में आया है। भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष 15 फीसदी हुकना पक्षी के बिजली के तारों के साथ टकराकर मारे जाने का अनुमान है।
इस परिस्थिति में हुकना की आबादी की सुरक्षा के लिए सेवानिवृत भारतीय प्रशासकीय अधिकारी डॉ एम. के. रणजीत सिंह और अन्य प्रकृति संरक्षक पिरा राम बिश्नोई, नवीनभाई बापट, संतोष मार्टिन और कॉर्बेट फाउंडेशन ने एकजुट होकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय में हुकना पक्षी के संरक्षण के लिए एक जनहित याचिका वर्ष 2019 में दाखिल की थी। उक्त याचिका पर बिजली मंत्रालय ने कहा था कि लो-वोल्टेज लाइनों (66 किलोवोल्ट तक) को आसानी से भूमिगत किया जा सकता है, किंतु हाई-वोल्टेज लाइनों (130 किलोवोल्ट और उससे ज्यादा) को भूमिगत करना थोड़ा मुश्किल और महंगा हो सकता है। 19 अप्रैल, 2021 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने इस पर फैसला सुनाते कहा है कि हाई-वोल्टेज लाइनों (130 किलोवोल्ट और उससे ज्यादा) को भूमिगत करना थोड़ा-सा मुश्किल हो सकता है, परंतु नामुमकिन नहीं। और यह कार्य करते समय गोडावण पक्षी और उसके भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रखना ज्यादा जरूरी है।
पीठ ने फैसला सुनाया कि राजस्थान और गुजरात में हुकना की आबादी वाले क्षेत्रों की पवन चक्कियों (विंड मिल्स) को अपने बिजली के तारों को भूमिगत करना होगा। हुकना के अन्य इलाकों में बिजली के तारों पर बर्ड-डायवर्टर लगाने को कहा गया है, ताकि पक्षी दूर से ही तारों को देख सकें और उसके साथ टकराने से बच सकें। हुकना के क्षेत्र का मूल्यांकन भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया है और उसे ‘दी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड लैंडस्केप’ के नाम से प्रचारित किया है। बिजली के तारों को भूमिगत करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है, जो इस कार्य का निरीक्षण करेगी। इस कमेटी में डॉ राहुल रावत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के वैज्ञानिक डॉ सुतीर्थ दत्ता, भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक और देवेश गढ़वी, वैज्ञानिक तथा द कॉर्बेट फाउंडेशन के उप निदेशक शामिल हैं।
इस याचिकाकर्ता और कच्छ के विख्यात पक्षी निरीक्षक नवीन बापट ने कहा कि काफी लंबे समय से कच्छ के लोग और खासकर गांववासी पवनचक्की (विंडमिल) और बिजली के तारों से हो रहे नुकसान के बारे मे अपनी फरियाद एवं आक्रोश प्रकट कर चुके हैं। कच्छ में बिजली के तारों की वजह से लगातार घास के मैदानों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे वक्त में सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला न केवल हुकना के लिए, बल्कि गांववासियों के लिए भी अच्छा है। देवेश गढ़वी ने कहा कि शेर और बब्बर शेर की तरह हुकना भी इस देश का गौरव है और उसका संरक्षण होना बहुत जरूरी है। यूरोपीय देशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ‘ग्रेट बस्टर्ड को बचाने के लिए यूरोप ने अपने बिजली के तारों को भूमिगत किया था और उसके कुछ ही वर्ष में उनकी संख्या में अच्छी बढ़ोतरी हुई है।’
निश्चित रूप से यह फैसला देश के सभी पर्यावरण प्रेमियों, छात्रों, शोधकतार्ओं को एक नवीन ऊर्जा देगा और वे पर्यावरण तथा वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु उत्साह से कार्यरत रहेंगे। इस फैसले के बाद हमें विश्वास है कि अगली बार राजस्थान और गुजरात की यात्रा के दौरान हुकना के गौरव और सौंदर्य से रूबरू होना आसान होगा।
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