राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

महामारी के दौर में मीडिया

राष्ट्रनायक न्यूज। हर सुबह हॉकर स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों के साथ द न्यूयॉर्क टाइम्स गेट पर फेंक जाता है। हालांकि मैं इस अमेरिकी अखबार को सबसे अंत में पढ़ती हूं, क्योंकि इसमें कोई ब्रेकिंग न्यूज या हॉट न्यूज नहीं होती है। इस अखबार की शैली ऐसी है कि यह उच्च गुणवत्ता वाले लेखों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है और यह इसकी विशेषता है। ये लेख अच्छी तरह से विश्लेषित एवं शोधपरक होते हैं। हाल में हर दिन इसके पहले पन्ने पर महामारी की मौजूदा घातक लहर से जूझ रहे भारत की कठिन स्थिति के बारे में व्यापक कवरेज रहता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों में न केवल न्यूयॉर्क टाइम्स, बल्कि बीबीसी, सीएनएन और जर्मन डायचे वेले भी अब भारत से दूर हो गए हैं। खबरों में अब सबसे ऊपर गाजा पट्टी की स्थिति है और सभी फलस्तीन और इस्राइल पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

दक्षिण एशिया के कई देशों में संस्थान सिर्फ महामारी के चलते नहीं, बल्कि दशकों से कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे कई देशों में एक चीज समान है और वह है एक संस्था के रूप में मीडिया। लंबे अरसे से देखा गया है कि शासकों को वे खबरें पसंद नहीं आतीं, जो जनता की नजरों में उनकी छवि अच्छी नहीं बनातीं और इसलिए वे कई विभाग एवं मंत्रालय बनाते हैं, जिनका काम सरकार की सकारात्मक छवि गढ़ने वाली खबरें तैयार करना है। पत्रकारों को धमकाना, जेल में डालना, गायब कर देना और मार डालने की घटना अब आम बात हो गई है। मगर सोशल मीडिया ने कई सरकारों की समस्याओं को बढ़ा दिया है,  क्योंकि यह एक ऐसी जगह है, जिस पर नियंत्रण करना उनके लिए मुश्किल है। कई बार सरकारों द्वारा ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम को पोस्ट और टिप्पणियों को हटाने के लिए कहा गया है।

वर्तमान महामारी के दौरान यह भी देखा जाता है कि भारत सरकार देश के कोने-कोने से हो रही रिपोर्टिंग के प्रति बहुत संवेदनशील है। मैं भारतीय मीडिया को करीब से देख रही हूं और मेरा मानना है कि ऐसा बहादुर मीडिया अक्सर नहीं देखा जाता है, जो अपने स्वास्थ्य और जीवन की परवाह किए बिना देश भर से ताजा खबरें लाने के लिए हर जगह पहुंचता है। स्वाभाविक रूप से, स्थिति अच्छी नहीं है और सरकार एक बहुत ही कठिन चुनौती को नियंत्रित करने में विफल रही है। लेकिन मीडिया द्वारा उठाए गए मुद्दे को सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए जानकारी का उपयोग करना चाहिए। भारतीय सोशल मीडिया के सकारात्मक काम को भी इतिहास में दर्ज किया जाएगा, क्योंकि इसने लोगों को अस्पतालों में बिस्तर और बहुत बीमार लोगों के लिए आॅक्सीजन तक पहुंचाने में मदद के लिए एक त्वरित और सुरक्षित मंच प्रदान किया। पूरी तरह से अनजान लोगों ने एक-दूसरे की मदद की।

हाल ही में मैंने एक खबर पढ़ी, जिसमें इसका जिक्र था कि अमेरिका कोवेक्स कार्यक्रम में योगदान देगा, लेकिन यह प्रतिबद्धता नहीं जताई गई थी कि वह भारत को कितना दान देगा। जब ग्लोबल कोविड रिस्पॉन्स के अमेरिकी संयोजक से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अमेरिका कोवेक्स कार्यक्रम के माध्यम से टीकों की आठ करोड़ खुराक देगा, लेकिन अंतिम आवंटन अभी तक नहीं किया गया है। हालांकि दुनिया भर के देशों ने भारत को बहुत सारे चिकित्सा उपकरण दिए हैं, पर वर्तमान और भविष्य की सहायता के लिए टीका महत्वपूर्ण है। अमेरिका को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भारत ने पहले दुनिया भर में उपहार के रूप में टीके भेजे थे। अब जब देश में पर्याप्त टीके नहीं हैं, यह बहस का विषय है कि क्या टीके विदेश भेजने का फैसला सही था। लेकिन निश्चित रूप से भारत की उदारता को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए और अमेरिका को भारत के लिए एक बड़ी संख्या निर्धारित करनी चाहिए।  यह देखना दिलचस्प है कि अस्तित्व की खातिर सिर्फ टीके आयात करने के लिए नए राजनयिक संबंध बनाए जा रहे हैं। चीन उस स्थिति का फायदा उठा रहा है, जहां यूरोपीय संघ के कई देश, जो भारत से या कोवेक्स कार्यक्रम के माध्यम से टीके प्राप्त करने में विफल रहे, अब बीजिंग का रुख कर रहे हैं।