राष्ट्रनायक न्यूज।
मुजफ्फरपुर। बिहार के लिए राहत भरी खबर है। 24 जिलों में कोरोना वायरस बहुत कमजोर पड़ गया है। यहां एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण प्रसार की दर यानी (रिप्रोडक्टिव रेट) एक फीसदी से भी कम है। यानी इन जिलों में खतरा नगण्य है। जबकि राज्य के 14 जिलों में संक्रमण का खतरा अभी बरकरार है। इन 14 जिलों की रिप्रोडक्टिव रेट एक से ज्यादा है। यह विश्लेषण शोध संस्थान डेवलपमेंट डाटा लैब ने किया है। 22 मई तक दूसरी लहर में आये कुल केस, स्वस्थ होने की दर, मौत व रिस्क जोन की आबादी के हिसाब से डाटा तैयार किया गया है। इस संदर्भ में पटना में विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात की गई। उन्होंने भी स्वीकार किया कि बिहार में संक्रमण की दर कम होती जा रही है। आने वाले कुछ दिनों में यह और कम होगा।
डेवलपमेंट डाटा लैब ने अपना डाटा अमेरिका व भारत के विशेषज्ञों को उपलब्ध कराया है। उसके बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया है कि बिहार के 24 जिले में संक्रमण अब अपने अंतिम चरण में हैं, जबकि 14 जिलों में खतरा अभी बरकरार है। ओपर डाटा लैब की शोधकर्ता अदिति भौमिक बताती हैं- रिप्रोडक्टिव रेट 1.5 हुआ तो इसका मतलब है कि किसी क्षेत्र विशेष में यदि सौ पॉजिटिव केस है तो वह अगले डेढ़ सौ को संक्रमित करेंगे। और यदि रिप्रोडक्टिव रेट एक से कम है तो इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति से समूह में संक्रमण का खतरा कम है। ओपन डाटा लैब अपने लिए वर्ल्ड बैंक, आरबीआई, भारत सरकार, राज्य सरकारें व जिला प्रशासन से उपलब्ध डाटा से जुटाती है। इसके बाद किसी राज्य या जिला विशेष का आकलन किया जाता है। इसका उद्देश्य क्षति को कम करने के लिए लोगों व सरकार को पहले से आगाह करना है।
शिकागो यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ प्रोफेसर अनुप मलानी के नेतृत्व में काम कर रही टीम इस शोध के नतीजे पर पहुंची है। अनूप मलानी के साथ अमेरिका के डार्टमूथ यूनिवर्सिटी व जॉन हंप्किग्सन यूनिवर्सिटी के अलावा भारत के विशेषज्ञ काम कर रहे हैँ। इसकी भारतीय निदेशक अदिति भौमिक हैं, जो कॉरोनेल यूनिवर्सिटी से पासआउट हैं। इस संस्था को वर्ल्ड बैंक, मिलिंडा गेट्स फांउडेशन व आईएफटी जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था फंडिंग करती है। भारत में इसका कार्यालय दिल्ली में है, जबकि इसका मुख्यालय वाशिंगटन में स्थित है।


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