राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

अलीगढ़ शराब कांड के दोषियों पर सामान्य कार्रवाई नहीं, हत्या के मुकदमे दर्ज होने चाहिए

राष्ट्रनायक न्यूज। अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 80 से ज्यादा हो गई। एक साल में उत्तर प्रदेश में विषाक्त शराब पीने से 150 के आसपास मौतें हुईं हैं। ये एक बड़ी संख्या है। 2008 से 2020 तक के 12 साल में नकली और मिलावटी शराब पीने से 452 व्यक्ति मरे हैं। ये सरकारी आंकड़े हैं। मौत तो इससे काफी ज्यादा बताई जा रही हैं।

176 में शराब से हुई मौत अलग हैं। ये घटना बिल्कुल अलग है। ये गांव में देहात में बन और बिक रही शराब से मौत होने की घटना नहीं है। यह मौत उस शराब से हुई है, जो सरकारी ठेकों से बेची जा रही है। अब तक शराब से मौत सस्ती के चक्कर में गांव की बनी कच्ची शराब से होती थीं। ठेकों की शराब मंहगी होती हैं। सरकार को इससे काफी टैक्स मिलता है। सरकार की देख रेख में ये ठेके चलते हैं। गरीब नशेड़ी -सस्ती के चक्कर में गांव की बनी शराब खरीद कर प्रयोग करता है। गांव-देहात में शराब बनाने वालों को इनके बनाने की जानकारी ज्यादा नहीं होती। न उनके पास शराब की तेजी नापने के उपकरण होते हैं। इसीलिए उसके कई बार परिणाम गलत आते हैं। ये ही मौत का कारण बनते हैं किंतु इस बार की घटना इससे अलग है। मरने वालों ने इस बार शराब सरकारी ठेके से खरीदी। उन ठेकों से जिनकी गुणवत्ता और सही माल की आपूर्ति के लिए पूरा प्रशासनिक अमला है। पुलिस और प्रशासन की तो संयुक्त जिम्मेदारी है ही।

दो सौ ग्राम का 42 डिगरी का (पव्वा) शराब की बोतल फैक्ट्री से नौ-सवा नौ रुपये के आसपास चलती है। ये ठेकेदार को 66.70 रुपये की मिलती है। इस प्रकार ये पव्वा कहलाने वाली दो सौ ग्राम शराब पर सरकार 56 रुपये के आसपास टैक्स लेती है। 13 रुपये के आसपास लाइसैंसी अपना खर्च लेकर ग्राहक को 80 रुपये के आसपास बेचते हैं। 56 रुपये के टैक्स के बाद सरकार का लाइसैंस शुल्क आदि भी होता है। दस रुपये की शराब पर लाइसैंस शुल्क और टैक्स लगभग 58-60 के आसपास पड़ता है। दस रुपये की शराब 80 रुपये में खरीदने वाला ग्राहक समझता है कि उसे सही शराब मिल रही है। ऐसे में ठेके से जहरीली शराब मिल रही है तो प्रदेश की मशीनरी जिम्मेदार है। प्रदेश की व्यवस्था दोषी है। इसकी जिम्मेदारी इन सबकी है। ठेकों से बिकने वाली शराब की गुणवत्ता के लिए प्रदेश में अलग से पूरा आबकारी विभाग है। इस विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं। आबकारी विभाग के वे सिपाही जिम्मेदार हैं जो वर्षों से एक ही जगह जमे हैं।

इन विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों पर मरने वालों की हत्या के मुकदमे चलने चाहिए। सरकार ठेकों से बिकने वाली शराब से मोटा टैक्स लेती है। प्रति बोतल टैक्स निर्धारित है। इसलिए उसकी भी जिम्मेदारी बनती है। मरने वाले के परिवार को मुआवजा दे। जहरीली शराब पीने से मौत होती रहती है। मौत होने पर शोर मचता है। कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई का चाबुक चलता है। कुछ दिन बाद सब ठीक हो जाता है। अधिकारी बहाल हो जाते हैं। कुछ दिन बाद फिर नया कांड हो जाता है। ये अलग तरह की घटना है। इसमें हुई मौत व्यवस्था जन्य हैं, इन्हें क्षमा नहीं किया जा सकता। अलीगढ़ में तैनात आबकरी विभाग का अमला इन मौत के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। इन पर हत्या के मुकदमे दर्ज होने चाहिए। साथ ही मृतकों के परिवार को दिया जाने वाला मुआवजा इनके वेतन से वसूला जाना चाहिए। इस प्रकरण में इतनी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए कि आगे से कोई ऐसा करने का दुस्साहस न कर सके।

अशोक मधुप