बनियापुर (सारण)- क्षेत्र में दोरस हवा चलने एवं बुंदा-बूंदी की आशंका को लेकर तेलहनी और दलहनी फसलो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जा रही है।अनुभवी किसानों ने बताया कि बिगत एक पखवाड़े से मौसम के उतार-चढ़ाव को लेकर परेशानी बढ़ गई है। जिन किसानो ने सरसो की अगात बुआई की है,उनकी सरसो की फसल में दाने लग चुके है।मगर दाने को पुष्ट होने में 10-15 दिन लग जाएंगे।ऐसे में लगातार मौसम के बदलते रहने से फसल प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है।इधर बहुफसली विधि से गेहूँ की फसल के साथ सरसो की बुआई करने वाले किसानो को इस बात की चिंता सता रही है की अभी -अभी सरसो के पौधों में फूल लगने प्रारम्भ हुए है।ऐसे में पुरवा हवा चलने की वजह से लाही (कीट) गिरने से उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा।वही अरहर के पौधें में लगे फूल भी मैसम के उतार-चढ़ाव से झड़ने लगे है।लंबे समय से कृषि कार्य में अनुभव रखने वाले संघर्षशील किसान मदन सिंह ने बताया की लाही के प्रकोप से पौधे सुख जाते है और उनमे लगे दाने काले पड़ जाते है।जो किसी काम के नहीं रहते है।इस मौसम में तेलहनी और दलहनी फसलो के बेहतर उत्पादन के लिये पछुआ हवा का चलना उपयुक्त माना जाता है।वही प्रायः इस मौसम में बारिस के साथ ओलापात की संभावना बनी रहती है।जो कृषि कार्यो के लिये नुकसान दायक माना जाता है।हालांकि मौसम विभाग की माने तो अगले 24-48 घंटे में सूबे के कुछ इलाकों में मध्यम बारिस की संभावना जताई गई है।हालांकि की बदल छाये रहने से न्यूनतम और अधिकतम तापमान में बृद्धि होने की बात बताई जा रही है।
आलू के उत्पादन दर से किसान निराश
इधर काफी खर्च और कड़ी मेहनत के बावजूद भी आलू की फसल का बेहतर उत्पादन नहीं होने से किसानो को निराशा ही हाथ लगी है।किसानो ने बताया कि लंबे समय तक चले शीतलहर की वजह से समय से पूर्व ही आलू की लती(पौधे)जलने से फसल काफी प्रभावित हुई है।वही जो कुछ उत्पादन हुआ है उसका भी उचित मूल्य नहीं मिल पाने से परेशानी उठानी पड़ रही है।किसानों ने बताया की एक पखवाड़े पूर्व तक आलू की कीमत काफी तेज थी।मगर अब किसानों के पास आलू की तैयार फसल है तो महज 09-10 रुपये प्रतिकिलो की दर से व्यपारियों को बेचना पड़ रहा है।
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