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कोरेाना लॉकडाउन में 30 लाख प्रवासी वापस आ चुके हैं बिहार, नीतीश सरकार की बढ़ी मुश्किलें

कोरेाना लॉकडाउन में 30 लाख प्रवासी वापस आ चुके हैं बिहार, नीतीश सरकार की बढ़ी मुश्किलें

कशिश भारती की रिपोर्ट

पटना। कोरोना वायरस यानी कोविड-19 को लेकर लागू किये गये लॉकडाउन में बिहार के बाहर दूसरे प्रदेशों में फंसे प्रवासियों का आने का सिलशिला लगातार जारी है। प्रतिदिन श्रमिक स्पेशल ट्रनों के माध्यम से प्रवासी अपने घर लाैट रहे है, जिन्हें विभिन्न जिलों के प्रशासन द्वारा चिन्हित क्वारेंटाइन सेंटर यानी आवश्यकतानुसार होम क्वारेंटाइन में रखा जा रहा है। आपदा प्रबंधन के आंकडों की माने तो अभी तक बिहार में करीब 30 लाख प्रवासी वापस लौट चूके है। हालांकि अभी तक प्रवासियों का आने का रफ्तार रूका नहीं है। ऐसे में बिहार में नीतीश सरकार की मुश्किले बढ़ गई है।  इससे बिहार के शहरी इलाकों में दबाव बढ़ सकता है। रोजगार की चाहत में पलायन कर आने वाले लोगों का झुकाव तेजी से शहरों की ओर हो सकता है। दरअसल फिलहाल जो हालात हैं उसके हिसाब से देश के अन्य राज्यों में लोगों के जाने की संभावना कम दिखती है। इसके साथ ही एक बड़ी हकीकत यह भी है कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में रोजगार की भारी कमी है। बिहार के नामचीन उद्योगपति एवं विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि राज्य में आने वाले समय में नौकरी की तलाश में बड़ी संख्या में पलायन कर आने वाले श्रमिकों का झुकाव शहरी इलाकों में हो सकता है। बिहार सरकार लाख दावा करे कि बिहार में आने वाले श्रमिकों को रोजगार की व्यवस्था सरकार कर रही है, लेकिन जो रोजगार के हालात बन रहे हैं उससे यह नहीं लग रहा है कि सरकार उतना रोजगार उपलब्ध करा सकती है, जितनी संख्या में लोग बिहार पहुंचे हैं। फिलहाल जो आंकड़े सरकार की तरफ से जारी किए गाए हैं उसके मुताबिक कई सेक्टरों में सरकारी और गैर-सरकारी रोजगार सृजन किया गया है जो लगभग छह लाख पचास हजार के आसपास है। लेकिन बिहार में आने वाले श्रमिकों की संख्या लाखों में है। ऐसे में सरकार पर दबाव बढ़ेगा और गांव में नौकरी की व्यवस्था नहीं होने से झुकाव शहर की ओर हो सकता है।

ग्रामीण इलाकों में कृषि के क्षेत्र में रोजगार की है संभावनाएं

सरकारी दावा अपनी जगह है, लेकिन बिहार में आज भी रोजगार के हालात वैसे ही हैं जैसे पहले थे। बिहार में औद्योगिकीकरण नहीं होने के कारण रोजगार का संकट परेशानी का सबब बना हुआ है। ग्रामीण इलाकों में आज भी रोजगार की सबसे ज्यादा संभावना कृषि और उसे जुड़े उत्पादों में ही रोजगार मिल पाता है। लॉकडाउन की वजह से बिहार को भी राजस्व में काफी घाटा हुआ है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नाम पर मनरेगा, कृषि से जुड़े कार्य- प्रमुख होंगे, लेकिन जो कुशल श्रमिक बिहार में आए हैं इनकी संख्या लाखों में है, वो ऐसे काम शायद ही करें। जाहिर है उनका रुख तब सीधा शहर की ओर होगा जिसकी वजह से शहरों पर दबाव बढ़ेगा।

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