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कोरोना को मात देने वाले लोग स्नेह के हैं हक़दार, भेदभाव अधूरी जानकारी की पहचान

कोरोना को मात देने वाले लोग स्नेह के हैं हक़दार, भेदभाव अधूरी जानकारी की पहचान

• स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बचाव की दी जानकारी
• होगी 6 फीट की दूरी, तभी कोरोना से बचाव होगी पूरी
• तंबाकू सेवन से करें परहेज, रहें स्वस्थ

छपरा (सारण)। कोरोना संक्रमण के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में फ़िलहाल तो कुछ छूट दी गयी है एवं अनलॉक 1.0 को देशभर में लागू कर दिया गया है। लेकिन अभी भी कोरोना संक्रमण के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी ही देखी जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने विडियो जारी कर अनलॉक 1.0 के दौरान कोरोना से बचाव की उपायों की जानकारी दी है। साथ ही कोरोना से ग्रसित लोग, कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोग एवं कोरोना पीडतों की देखभाल में जुटे चिकित्सक या अन्य कर्मियों के खिलाफ़ हो रहे भेदभाव के विषय में भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है। कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों के प्रति भेदभाव समुदाय में सही जानकारी के आभाव को दर्शाता है। बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जो ठीक होने के बाद कोरोना पीड़ितों के उपचार के लिए प्लाज्मा डोनेट भी कर रहे हैं। इसलिए वे भेदभाव नहीं बल्कि स्नेह के हक़दार हैं।

कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोगों से नहीं करें भेदभाव:

‘‘जब से कोरोना से ठीक होकर अस्पताल से लौटी हूँ. पड़ोसी मेरे साथ कुछ अजीब ही व्यवहार कर रहे हैं. घर वालों के पास भी कोई विकल्प नहीं है. सभी घर में ही कैद रहने को मजबूर हैं’’

‘‘मैं अब बिलकुल ठीक हो चुकी हूँ. लेकिन घर वापस लौटने के बाद यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है. आस-पास के लोग तो मुझे पानी भी भरने नहीं देते. यह भेदभाव ठीक नहीं है’’

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना को मात देकर घर लौटी कुछ महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव पर उनकी बातों को विडियो के माध्यम से साझा किया है। साथ ही एम्स दिल्ली के निदेशक एवं चिकित्सकों ने भी इस पर अपनी राय भी रखी है।

एम्स. दिल्ली, के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कोरोना भी एक आम वायरल रोग है। यद्यपि बाकी वायरल रोगों की तुलना में इसका प्रसार तेज है। बहुत सारे कोरोना के ऐसे भी मरीज हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं है एवं वे आसानी से ठीक भी हो रहे हैं। लेकिन ठीक होने के बाद लोग उनसे दूर भागने लगते हैं एवं उन्हें सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो वैज्ञानिक रूप से बिलकुल गलत है। ठीक हुए मरीजों से कोरोना का संक्रमण दूसरे लोगों में नहीं फ़ैलता है। उन्होंने बताया भेदभाव के ही कारण बहुत सारे लोग पीड़ित होकर भी जाँच के लिए सामने नहीं आते हैं। इससे उनकी जान को खतरा है।

एम्स. दिल्ली, के मनोचिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कौशल सिन्हा देव बताते हैं, कोरोना ने लोगों को डरा दिया है। इस डर के कारण लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लोगों को लगता है कि जो भी लोग कोरोना से लड़ रहे हैं या जो लोग कोरोना को हराकर ठीक हो चुके हैं उनसे दूरी बनाकर कोरोना संक्रमण से बचाव संभव है। लेकिन सत्य यह है कि लोगों से भेदभाव करके एवं कोरोना की जंग में शामिल लोगों पर ऊँगली उठाकर इस महामारी से बचा नहीं जा सकता है।

इन बातों का रखें विशेष ख्याल:

• सार्वजानिक स्थानों पर लोगों से 6 फीट की दूरी बनायें
• घर में बने पुनः उपयोग किये जाने वाले मास्क का प्रयोग करें
• अपनी आँख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें
• हाथों की नियमित रूप से साबुन एवं पानी से अच्छी तरफ साफ़ करें या आल्कोहल आधारित हैण्ड सैनिटाईजर का इस्तेमाल करें
• तंबाकू, खैनी आदि का प्रयोग नहीं करें, ना ही सार्वजानिक स्थानों पर थूकें
• अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली सतहों की नियमित सफाई कर इसे कीटाणु रहित करें
• अनावश्यक यात्रा न करें
• यदि सामाजिक समारोह स्थगित नहीं किया जा सकता, तो मेहमानों की संख्या कम से कम रखें
• कोविड-19 पर जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क करें