नयी दिल्ली, (एजेंसी)। महाराष्ट्र विधानसभा से भाजपा के 12 विधायकों को दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित करने के विरोध में पार्टी के नेताओं ने विधान भवन की सीढ़ियों पर ‘काउंटर असेंबली’ स्थापित कर कृत्रिम सत्र आयोजित किया। भाजपा के कई विधायक सुबह में विधानमंडल भवन की सीढ़ियों पर बैठ गए और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। हालांकि कृत्रिम सत्र चलाया जाना कोई नयी बात नहीं है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र के एक कद्दावर नेता ने लोकसभा में ऐसा ही एक सत्र चलाया था। मनमोहन सरकार के समय में वेतन भत्तों को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट हो गया था और जब सदन के उपनेता गोपीनाथ मुंडे को बोलने का मौका नहीं मिला था तब उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और राजद के लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर एक कृत्रिम सत्र का आयोजन किया था।
वेतन भत्ते को लेकर लोकसभा में जबरदस्त हंगामा करते हुए कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास किया गया। इसके साथ ही गोपीनाथ मुंडे कृत्रिम सत्र (समानांतर सदन) चलाया था। जिसकी वजह से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी नाराज हो गए थे और संसद का मजाक बनाए जाने के लिए मुंडे को फटकार लगाई थी। संसद के कृत्रिम सत्र में गोपीनाथ मुंडे, कीर्ति आजाद, मेनका गांधी, वरुण गांधी समेत भाजपा के अन्य सांसद शामिल हुए थे। महाराष्ट्र के एक नेता ने अगस्त 2010 में लोकसभा का कृत्रिम सत्र चलाया था और अब 10 साल बाद महाराष्ट्र विधानसभा में ठीक वैसा ही नजारा देखने को मिला। राजनीति की सूरत कभी बदलती नहीं है। ऐसे में क्या भाजपा आडवाणी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए देवेंद्र फडणवीस समेत तमाम नेताओं को फटकार लगाएगी या फिर उनका बचाव करेगी ?
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