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विदेशी बाजारों में तेजी से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, (एजेंसी)। विदेशों में तेजी के रुख के साथ मांग निकलने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार रहा। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी रहने से स्थानीय कारोबार पर इसका अनुकूल असर हुआ। इसके अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम में धीरे-धीरे मांग बढ़ने के कारण भी कारोबार में सुधार का रुख रहा। उन्होंने कहा कि आगे चल कर त्योहारों का सीजन शुरू होगा, तब मांग और बढ़ेगी। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के बीज की कमी की वजह से लगभग 60 प्रतिशत पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं। इसी तरह सरसों दाने की कमी के कारण लगभग 40-50 प्रतिशत सरसों पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है, बल्कि तेल मिलों के पास बहुत सीमित मात्रा में स्टॉक हैं। जयपुर की मरुधर ट्रेडिंग कंपनी ने सरसों की वर्तमान स्थिति के बारे में बताया कि अभी देश में सरसों के 86 लाख टन के कुल उत्पादन (जिसमें पिछले साल का लगभग बचा हुआ लगभग एक लाख टन का ‘कैरी फारवर्ड’ स्टॉक शामिल है) में से पिछले चार महीनों में लगभग 46 लाख टन सरसों की खपत हो चुकी है। किसानों के पास 35.5 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है और लगभग छह लाख टन तेल मिलों के पास है। अभी अगली फसल में लगभग आठ महीने बाकी हैं। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन बीज वाली दिक्कत सरसों के मामले में न होने पाये और आगामी बिजाई के लिए सरसों पहले से उपलब्ध रहे, इसका इंतजाम अभी से कर लेना चाहिये। जिस तरह से किसानों को उनके सरसों के लिए दाम मिले हैं, ऐसी उम्मीद है कि सरसों की अगली पैदावार काफी बढ़ सकती है।

सूत्रों ने कहा कि बाजार में ऐसी चर्चा है कि सरकार दलहन की तरह तिलहन पर भी स्टॉक रखने की सीमा तय कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरसों की उपरोक्त स्थिति को देखते हुए उक्त प्रयास से कोई परिणाम नहीं निकलेगा क्योंकि बाजार में किसानों और सीमित मात्रा में तेल मिलों के पास सरसों का स्टॉक को छोड़कर और किसी के पास सरसों, सोयाबीन जैसे तिलहन का स्टॉक ही नहीं है। सरकार की ओर से खरीद करने वाली सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड के पास भी सरसों का स्टॉक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरसों पैदावार के लगभग चार महीने के बाद हरियाणा में मंडियों की बाजार समितियों ने माल बेचने के लिए पंजीकरण कराने वाले किसानों से पूछताछ चालू की है कि उन्होंने माल कहां बेचा। इस बार बाजार समितियों को कम मंडी शुल्क मिला है। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा में किसानों ने एमएसपी से अधिक मूल्य मिलने के कारण अपना लगभग 80 प्रतिशत सरसों बाहर बेच दिया और अब पूछताछ करना बेमतलब है। उन्होंने कहा कि पॉल्ट्री में चारे के रूप में इस्तेमाल होने वाले सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का निर्यात पिछले साल के मुकाबले लगभग 300 प्रतिशत बढ़ा है जबकि इसकी स्थानीय मांग भी निरंतर बढ़ रही है। तेल संगठन सोपा के अनुसार पिछले साल अक्टूबर से जून के दौरान 5.94 लाख टन के निर्यात के मुकाबले इस वर्ष की समान अवधि में निर्यात बढ़कर करीब 18 लाख 91 हजार टन हो गया। स्थानीय मांग और अगली फसल में देरी को देखते हुए डीओसी के निर्यात पर कम से कम अक्टूबर महीने तक रोक लगाने की आवश्यकता है।

सोयाबीन के स्टॉक की कमी और निर्यात के साथ-साथ भारी स्थानीय मांग के कारण सोयाबीन तेल-तिलहनों के भाव सुधार के साथ बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि पामोलीन तेल की मांग बढ़ने के बीच पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल में भी पर्याप्त सुधार आया। स्थानीय मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव में सुधार आया जबकि मांग बढ़ने से बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में लाभ के साथ बंद हुए। बीते सप्ताह, सरसों दाना का भाव पांच रुपये का लाभ दशार्ता 7,380-7,430 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जो पिछले सप्ताहांत 7,375-7,425 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 10 रुपये बढ़कर 14,510 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 30-30 रुपये का सुधार दशार्ते क्रमश: 2,375-2,425 रुपये और 2,475-2,585 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 55 रुपये और 50 रुपये का सुधार दशार्ते क्रमश: 7,700-7,750 रुपये और 7,595-7,695 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली (रिफाइंड) और सोयाबीन इंदौर के भाव 50-50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,150 रुपये और 13,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सोयाबीन डीगम 12,800 रुपये क्विन्टल पर अपरिवर्तित बना रहा। स्थानीय मांग निकलने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली दाना 50 रुपये के सुधार के साथ 5,570-5,715 रुपये, मूंगफली गुजरात 150 रुपये सुधरकर 13,750 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 20 रुपये के सुधार के साथ 2,120-2,250 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 10,460 रुपये क्विन्टल पर अपरिवर्तित बना रहा। जबकि मांग बढ़ने से पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल का भाव 50 – 50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 12,450 रुपये और 11,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। तेजी के आम रुख के अनुरूप स्थानीय मांग के कारण बिनौला तेल का भाव भी 10 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 13,210 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।