- शिशु स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व पर किया जायेगा जागरूक:
- जन्म के पहले एक घंटे में नवजात को स्तनपान कराना है जरूरी:
- डायरिया और निमोनिया से होने वाली मौत के खतरे होते हैं कम:
गया, 31 जुलाई।
शिशु के लिए स्तनपान के आवश्यकता पर सामुदायिक जागरूकता लाने के लिए अगस्त माह का पहला सप्ताह विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जायेगा। जिला में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न स्तर पर विश्व स्तनपान सप्ताह संबंधी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। इस दिशा में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने सिविल सर्जन को पत्र के माध्यम से आवश्यक निर्देश दिये हैं।
आईसीडीएस के साथ आयोजित होंगे कार्यक्रम:
पत्र में कहा गया है कि बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास तथा नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने एवं कुपोषण से बचाने में स्तनपान के महत्व को जनसाधारण तक पहुंचाने के उद्देश्य से एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाना है इस सप्ताह को लेकर आईसीडीएस की सहभागिता सुनिश्चित करने का निर्देश है।
नवजात की मृत्यु की संभावना होती है कम:
जन्म के पहले एक घंटे में स्तनपान करने वाले नवजातों में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। पहले छह माह तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 गुणा तथा एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 15 गुणा कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है एवं व्यस्क होने पर गैरसंचारी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा कम रहता है।
दूध की बोतल मुक्त परिसर घोषित होंगे सदर अस्पताल:
निर्देश के मुताबिक जिला तथा प्रखंड स्तर पर कार्यशाला का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार किया जाना है। सभी सदर अस्पताल एवं प्रथम रेफरल ईकाई को दूध की बोतल मुक्त परिसर घोषित किया जाना है। प्रसव केंद्रों पर कार्यरत ममता का स्तनपान से होने वाले लाभ के संबंध में उन्मुखीकरण किया जाना है।
स्तनपान कराने की सुविधा के लिए ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर:
प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कक्ष यानि ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर स्थापित किया जाना है। आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा गर्भवती व धात्री माताओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराये जाने के महत्व बताना है। आंगनबाड़ी सेविका एवं आशा अगस्त माह में होने वाले ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण दिवस में सभी दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को निमंत्रित कर बच्चों को स्तनपान कराने के लिए अभ्यास करायेंगी। साथ ही पंचायती राज संस्थाओं के महिला सदस्यों व पदाधिकारियों द्वारा भी इस कार्य में सहयोग लिया जाना है। कोविड-19 से संभावित संक्रमित माताओं तथा संक्रमित माताओं को चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह देने तथा मास्क का प्रयोग एवं हाथों की सफाई इत्यादि कोविड-19 प्रोटोकॉल अपनाते हुए स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहन एवं सुझाव दिया जाना है।
अधिकारी करेंगे कार्यक्रम की मॉनिटरिंग:
इन सभी गतिविधियों के अनुश्रवण एवं मूल्यांकन की जिम्मेदारी क्षेत्रीय अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक, सिविल सर्जन, जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारी तथा आइसीडीएस के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी तथा प्रखंड स्तर पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सौंपी गयी है।


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