राष्ट्रनायक न्यूज।
सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज व्रत का विशेष महत्व है। करवा चौथ की तरह ही तीज पर भी महिलाऐं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। कुँवारी कन्याएं भी मनचाहे वर की कामना से इस दिन व्रत रखती हैं। यह व्रत श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस बार कजरी तीज 11 अगस्त को है। तीज पर महिलाऐं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती जी की पूजा करती हैं। तीज पर माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है और सास को बायना भी दिया जाता है। तीज की तैयारियां कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पूरी तैयारी की बाद भी हम पूजा या श्रृंगार का कोई न कोई सामान लाना भूल जाते हैं। आज के इस लेख में हम आपको तीज पर पूजन और श्रृंगार की सामग्री की पूरी लिस्ट देने जा रहे हैं-
पूजा की सामग्री: पीले रंग का कपड़ा, बेल पत्र, केले के पत्ते, धतूरा, आंकड़े के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, जनेऊ,धागा, जटा नारियल, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी, कपूर, दही, चीनी, शहद, दूध और भगवान शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाने के लिए शुद्ध मिट्टी। देवी पार्वती के श्रृंगार के लिए सामग्री: चुनरी, साड़ी, चूडियाँ, महावर, नथ, सिंदूर, बिंदी, बिछुआ, मेहंदी, कुमकुम, कंघी, नेलपॉलिश। सास की सुहाग की थाली के लिए सामग्री: साड़ी, बिंदी, बिछिया, चूड़ी, मेहंदी, महावर, नेलपॉलिश, कुमकुम, कंघी, मिठाई, फल और दक्षिणा
पूजा करने की विधि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मन में व्रत करने का संकल्प लें। इस दिन सुहागिन महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार करने का विशेष महत्व है। इस दिन सोलह श्रृंगार जरूर करें। पूजा शुरू करने से पहले भगवान शंकर-पार्वती और गणेश की मिट्टी की प्रतिमा बनाएं। इसके बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाकर वहां गौरी-शंकर और गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं अर्पित करें। भगवान को प्रसाद भी अर्पित करें। इसके बाद तीज की कथा पढ़ें या सुनें और फिर गणेश जी की आरती करने के बाद शिव जी और मां पार्वती की आरती करें। तीज का व्रत निराजल और निराहार किया जाता है। अगले दिन पूजा-पाठ करने के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।
प्रिया मिश्रा


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