मनिंद्र नाथ सिंह मुन्ना कि लिखी खबर
दिघवारा(सारण)। दिघवारा प्रखंड के आमी गांव में स्थित सिद्ध शक्तिपीठ मां अंबिका भवानी के रात्रि सिंगर के बेला पर उत्पन्न होने वाले मनोरम दृश्य को देखकर भक्तों का मन कहता है कि रुपवा मनवा मोहत बा। यहां मां के श्रृंगार आरती को देखने के लिए भक्तों की अपार भीड़ उमर रही है। इस श्रृंगार आरती के वक्त भक्तों के द्वारा जो जितना सक्षम है उसी तरह से मां की आरती के समय मां के भोग लगाने के लिए प्रसाद घरों से लाते हैं और इसे मंदिर के पुजारी को दे देते हैं, जिससे मां का भोग लग सके। जब मां की श्रृंगार आरती होती है मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त उक्त आरती को देखने को उमर परते हैं। यह दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है। मां की आरती के समय सभी भक्त अपना हाथ जोड़ मां के आरती में लीन हो जाते। मालूम हो कि यह मंदिर सिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण में भी है। नवरात्रि के अवसर पर हम जो दुर्गा सप्तशती की पाठ करते हैं उसके 13वे अध्याय में भी इस मंदिर का जिक्र है। जो राजा सूरथ और समाधि वैश्य के द्वारा मां के आराधना के लिए बनाया गया था। दुर्गा सप्तशती के अनुसार यह मंदिर गंगा नदी के किनारे एक टीले पर अवस्थित है जो कि यही है। उसके पूर्व राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ स्थल के रूप में भी इस मंदिर की परिकल्पना की जाती है। जहां सती ने अपने शरीर का दाह किया था और यही पे राजा दक्ष प्रजापति की सर को काटने के बाद भगवान शिव ने सती के सव को अपने हाथों में लेकर तांडव करना शुरू किया था। जिस वजह से सृष्टि विनाश होने की ओर चल दिया था जिसे बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के सव को इक्यावन टुकड़ों में विभक्त कर दिया। सती के सव का टुकड़ा जहां-जहां गिरा वह सभी इक्यावन सिद्ध शक्तिपीठ हुए। यही पर सती का शरीर दहन हुआ था इसलिए यह सिद्ध शक्तिपीठ हुआ। बताते चले की यहां इस अश्विन मां के नवरात्रि के अवसर पर तो भीड़ होती ही है चैत्र माह के नवरात्रि के समय भी काफी भीड़ होती है एवं अन्य नवरात्रि जो छुपे हुए होते हैं उसमें भी यहां अनुष्ठान का कार्य किया जाता है। यहां जो कोई भी भक्त मां के समक्ष अपना मनोरथ प्रकट करते हैं उन्हें उनको मनवांछित फल प्राप्त होता है। ऐसी धारणा यहां के भक्तों की है लोगों के द्वारा बताया गया कि हम लोगों की काफी मनोरथ हैं मां के दरबार से पूरी हुई है। इसमें बारे में बात करते हुए स्थानीय केदारनाथ तिवारी इंटर कॉलेज के उप प्राचार्य डॉक्टर प्रोफेसर अरविंद कुमार ने बताया की मां के दरबार में आने से मेरी जो मनोकामना थी अपने बच्चों के प्रति वह सभी पूरा हुआ इसलिए मैं हमेशा मां के चरणों में अपना शीश झुकाता रहूंगा। वहीं मनूपुर निवासी अजय कुमार सिंह ने भी मां की सेवा हेतु अपना समय न्योछावर करने की बात कही। पूर्व विधायक विनाय कुमार सिंह भी मां के दरबार में अपना माथा टेकते रहते हैं एवं मां की सेवा में लीन रहते हैं। वहीं इस तरह के अन्य भक्त मां की सेवा में लगे रहते हैं। शक्ति शांति अकादमी के फाउंडर स्वर्गीय अवधेश सिंह जी के पुत्र मनोज कुमार सिंह जी अपने तन मन धन से मां की सेवा में लगे रहते है लगभग ऐसा ही हाल स्थानीय लोगों एवं ग्रामीणों का है।
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