राष्ट्रनायक न्यूज।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अगस्त को ई-वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली ई-रुपी का आगाज किया। इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री के अनुसार इस नई भुगतान प्रणाली से सबसे अधिक फायदा विभिन्न सामाजिक योजनाओं के मौजूदा लाभार्थियों को मिलेगा। इसका इस्तेमाल आगे जाकर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के विकल्प के रूप में किया जा सकेगा। इसकी मदद से लाभार्थियों को पारदर्शी और सुरक्षित तरीके नकदी एवं अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी। इसका लाभ लेने के लिए लाभार्थी को न तो किसी से मिलना पड़ेगा और न ही कोई पैरवी करनी पड़ेगी।
प्रधानमंत्री दिसंबर, 2016 में शुरू किए गए भीम-यूपीआई भुगतान प्रणाली की तरह ई-रुपी को भी डिजिटलीकरण की दिशा में किया गया एक बड़ा सुधार मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यूपीआई प्रणाली ने भारत में भुगतान प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया है। इसमें अंतर्निहित फायदों की वजह से आज यह सभी वर्गों के बीच डिजिटल भुगतान करने का सबसे पसंदीदा माध्यम बना हुआ है। जुलाई, 2021 में यूपीआई के जरिये तीन अरब लेन-देन किए गए, जो राशि में छह लाख करोड़ रुपये से अधिक थी। ई-रुपी एक प्रीपेड ई-वाउचर है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) ने वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर विकसित किया है। ई-रुपी के विकास में एनपीसीआई के अलावा दूसरे विभाग इसलिए शामिल हैं, क्योंकि इनके द्वारा विभिन्न सामाजिक योजनाओं के तहत लाभार्थियों को डीबीटी किया जाता है।
इस प्रणाली का उपयोग बहुआयामी है, लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य आॅनलाइन भुगतान को आसान एवं सुरक्षित बनाना है। इससे लेन-देन बिना नकदी के किया जा सकता है। इसमें बिचौलिया की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि यह प्रणाली भुगतान करने वाले और भुगतान लेने वाले को सीधे तौर पर जोड़ती है। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को सीधे मिलेगा, जिससे भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी। इस डिजिटल वाउचर का उपयोग निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों के कल्याण और कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए भी कर सकती हैं। इसका इस्तेमाल मां एवं बच्चे के कल्याण, टीबी उन्मूलन, आयुष्मान भारत, खाद सब्सिडी आदि योजनाओं के तहत लाभार्थियों की भुगतान जरूरतों को पूरा करने में किया जा सकता है। कोरोना काल में कोई भी कंपनी अपने कर्मचारियों का टीकाकरण करने के लिए इस सुविधा का लाभ उठा सकती है।
ई-रुपी वाउचर को बैंक जारी करेंगे। अगर किसी कॉरपोरेट या सरकारी एजेंसी को किसी खास व्यक्ति को ई-रुपी वाउचर देना है, तो उसे सरकारी या निजी बैंक से संपर्क करना होगा। अमेरिका में शिक्षा के क्षेत्र में ई-वाउचर प्रणाली प्रचलित है, जिसके जरिये सरकार छात्रों की पढ़ाई के लिए उनके माता-पिता को सीधे तौर पर भुगतान करती है, ताकि बच्चों की शिक्षा में कोई बाधा नहीं आए। अमेरिका के अलावा ई-वाउचर प्रणाली कोलंबिया, चिली, स्वीडन, हांगकांग आदि देशों के स्कूलों में भी प्रचलित है।
अभी यह साफ नहीं हुआ है कि वैसे लाभार्थियों के संदर्भ में सरकार या निजी संस्थान या फिर कॉरपोरेट क्या करेंगे, जिनके पास मोबाइल फोन नहीं है, क्योंकि 31 जनवरी, 2020 तक देश में 115.6 करोड़ लोग मोबाइल का इस्तेमाल जरूर कर रहे थे, लेकिन स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगभग 50 करोड़ थी। ई-रुपी वाउचर प्रणाली को अमली जामा पहनाने में बैंकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन बैंक पहले से ही कई सामाजिक योजनाओं को पूरा करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस नई प्रणाली के आने से बैंकों पर और भी कार्यभार बढ़ेगा, लेकिन बैंक के कर्मचारियों की संख्या में फिलहाल इजाफा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, जिससे बैंकों को इस नई प्रणाली को अमली जामा पहनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।


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