- राज्य स्वास्थ्य समिति की राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने सीएस को दिये निर्देश
- मैटरनिटी वार्ड और ओपीडी के स्वास्थ्यकर्मियों को केयर इंडिया देगा प्रशिक्षण
राष्ट्रनायक न्यूज।
गया (बिहार)। गर्भावस्था में खून की कमी का गंभीर असर प्रसूता के स्वास्थ्य पर पड़ता है| खून की कमी के कारण प्रसव के दौरान जटिलताओं के साथ जच्चा—बच्चा दोनों की जान को जोखिम होता है| समय से पूर्व प्रसव या कम वजन वाले बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती तथा गर्भवती अवसाद का शिकार भी हो सकती है| खून की कमी को एनीमिया भी कहा जाता है| हालांकि प्रसव पूर्व जांच के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों पर एनीमिया ग्रसित गर्भवती को आयरन व फॉलिक एसिड की गोलियां दी जाती हैं लेकिन चिकित्सकों द्वारा अब खून की अत्यधिक कमी को पूरा करने के लिए उन्हें आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन दिया जा सकेगा| इसके लिए मैटरनिटी वार्ड तथा ओपीडी में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जायेगा| प्रशिक्षण के आयोजन को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के मातृत्व स्वास्थ्य इकाई के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सरिता ने सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश दिये हैं|
एनीमिया प्रबंधन के लिए आयरन सुक्रोज इंजेक्शन:
पत्र के माध्यम से भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि राज्य में मातृ- मृत्यु दर को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि जिन कारणों से मातृ—मृत्यु हो रही है उसका सुदृढ़ प्रबंधन किया जाये| मातृ—मृत्यु के कई कारणों में से एक खून की कमी है जो एनीमिया के नाम से जाना जाता है| यदि गर्भावस्था के दौरान खून की कमी का सही और अच्छा प्रबंधन हो तो गर्भावस्था के दौरान होने वाली मातृ—मृत्यु को कम किया जा सकता है| इसलिए खून की कमी के प्रबंधन के लिए आईवी आयरन सुक्रोज काफी महत्वपूर्ण है|
आयरन सुक्रोज इंजेक्शन के लिए दिया जायेगा प्रशिक्षण:
पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि गंभीर रूप से खून की कमी से ग्रसित महिलाओं में आयरन की कमी का होना एनीमिया का मुख्य कारण है.| इसके लिए उन्हें आयरन सुक्रोज इंजेक्शन दिये जाने की अनुशंसा भारत सरकार द्वारा की गयी है|. इसलिए सभी अस्पतालों, अनुमंडलीय अस्पतालों, सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित मैटरनिटी वार्ड एवं ओपीडी के नर्सों का अधीक्षक, उपाधीक्षक तथा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के नेतृत्व में केयर इंडिया के सहयोग से अगस्त- सितंबर माह में आईवी आयरन सुक्रोज प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण दिया जाना है|
इन स्थितियों में दिया जाना है आईवी आयरन सुक्रोज:
एनीमिया की पहचान के लिए गर्भवती महिलाओं की पहले हीमोग्लोबिन की जांच की जायेगी अगर हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम हो और गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में जिनमें कंजेस्टिव कॉर्डिएक विफलता के संकेत नहीं हो या प्रसवोत्तर महिला में जिन में कंजेस्टिव कार्डिएक विफलता के संकेत नहीं हो उन्हें आईवी आयरन सुक्रोज दिया जायेगा| अगर हीमोग्लोबिन 10 ग्राम से कम हो और गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही हो या जब चार हफ्ते आईएफए गोलियां खाने पर भी हीमोग्लोबिन का स्तर बेहतर नहीं हुआ हो या ओरल आयरन का अनुपालन नहीं हो सके तब आईवी आयरन सुक्रोज देकर कर एनीमिया प्रबंधन किया जाना है| नर्स ट्रेनिंग मॉडयूल में इस बात की चर्चा की गयी है कि गंभीर एनीमिया वाली गर्भवती महिलाओं को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए प्रेरित करना चाहिए| यदि ब्लड ट्रांसफ्यूजन की उपलब्धता नहीं हो सके तो आयरन सुक्रोज इंजेक्शन दिया जा सकता है|


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