राष्ट्रनायक न्यूज।
हरियाणा का रेवाड़ी शहर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 82 किलोमीटर आगे स्थित है। यह शहर मुगल शासन की कहानियों, आधुनिक विकास के साथ-साथ हरियाणा की संस्कृति को समेटे हुए है। रेवाड़ी को हीरवाल की राजनीतिक राजधानी, वीरभूमि व सैनिकों की खान जैसी कई उपमाओं से अलंकृत किया गया है। रेवाड़ी अपने पीतल के उत्पादों के लिए जाना जाता है जो देश के अन्य हिस्सों में भी भेजे जाते हैं। रेवाड़ी की उत्पत्ति प्राचीन काल से होती है। ऐसा माना जाता है कि इस शहर का इतिहास महाभारतकालीन नगर है। एक प्रचलित कहानी के अनुसार, लगभग 5500 वर्ष पूर्व यहाँ के शासक राजा रेवत थे। उनकी बेटी का नाम रेवती था, जिनका का विवाह भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम दाऊ से हुआ था। राजा ने विवाह के समय यह नगर रेवती को दहेज में दे दिया। रेवाड़ी को पहले रेवा-वाड़ी कहा जाता था, जो बाद में रेवाड़ी कहा जाने लगा।
दिल्ली के करीब होने के कारण, रेवाड़ी पूरे मुगल शासन में सक्रिय रहा। रेवाड़ी को अहीरवाल का लंदन भी कहा जाता है और यहाँ के राव राजा तुलाराम थे। उन्होंने 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था। राव राजा तुलाराम को श्रद्धांजलि देने के लिए हरियाणा के लोग 23 सितम्बर का दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाते हैं। इस पूरे जिले का इतिहास बहुत गौरवशाली है। रेवाड़ी जिले में लगभग 35 हजार पूर्व सैनिक व वीरांगनाएं हैं, जबकि लगभग 25 हजार सैनिक व सैन्य अधिकारी सेवारत है। रेवाड़ी न केवल अपने समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ घूमने की भी कई जगहें हैं-
रेवाड़ी में प्रमुख आकर्षण
- रेवाड़ी हेरिटेज स्टीम लोकोमोटिव संग्रहालय
- बाग वाला तालाब
- बाबा भैरों नाथ आश्रम
- बड़ा तालाब
- राव तुला राम स्मारक
रेवाड़ी में धार्मिक स्थल
- बाबा पुरुषोत्तम दास मंदिर
- घंटोश्वर मंदिर
- गुरवाड़ा का स्तंभ
- बाबा रघुनाथ मंदिर
- सरगवी मंदिर
- भागवत भक्ति आश्रम
- श्री राम शरणम
स्वामी शरणनाद मंदिर
- लाल मस्जिद
- रेवाड़ी में पार्क
- कृष्णा गार्डन
- टाउनशिप पार्क
- ललिता स्मारक
प्रिया मिश्रा
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