- वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का है लक्ष्य
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने वीडियो जारी कर किया जागरूक
- जिले में चल रहा है टीबी जागरूकता अभियान
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। टीबी मुक्त भारत के सपना को साकार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर जिले में समुदाय स्तर पर व्यापक अभियान भी चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है। जिसमें कहा गया है टीबी को हराने के लिए एक जुट होने की जरूरत है। इसका इलाज आसान है। टीबी को हराने के लिए सभी लोग एकजुट होंगे तभी टीबी मुक्त भारत का सपना साकार हो सकेगा। जारी वीडियो में हौसला नया भर लिया है, फैसला ये कर लिया है टीबी से सबको बचायेंगे, खुद से ये वादा कर लिया है।इंडिया जब जोर लगायेगा, टीबी हारेगा, देश जीतेगा। टीबी से मिलकर लड़ना है, चौकना हर पल रहना है। इरादा अपना रंग लायेगा। वीडियो के माध्यम से यह अपील की गयी है कि टीबी मुक्त भारत बनाने का संकल्प लें।
टीबी उन्मूलन में जनभागादारी है जरूरी:
सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने कहा कि वर्ष 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त कराया जाएगा। इसे लेकर विभाग प्रतिबद्ध है। पहले के मुकाबले मृत्यु दर में काफी कमी आई है। उम्मीद है कि जल्द ही जिले में टीबी पर काबू पा लिया जाएगा। टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी बहुत ही जरूरी है। अगर लोग सहयोग करें तो यह बीमारी समय से पहले खत्म हो सकती है।
टीबी का लक्षण दिखे तो जांच कराएं-
टीबी का लक्षण दिखे तो जांच आवश्यक कराएं। टीबी का हल्का-सा भी लक्षण दिखे तो जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र जाएं। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद आपको मुफ्त में दवा मिलेगी। साथ में भोजन के लिए भी पैसे मिलेंगे। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है। इसलिए अगर लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं।
दवाओं का नियमित सेवन करें:
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा की खांसी टीबी हो सकती है। किसी को शाम में बुखार आ रहा हो, बलगम में खून आ रहा हो या बिना वजह वजन कम हो रहा हो तो ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सरकारी अस्पताल पर आकर जांच और उपचार जरूर कराएं। मरीजों को निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई जाती है। साधारण टीबी और एमडीआर टीबी दोनों में से किसी भी तरह के मरीज हों, अपनी दवाओं का नियमित सेवन करें। साधारण टीबी मरीजों की दवा छह महीने तथा एमडीआर की छह से 20 महीने तक चलती है। सरकारी तथा प्राइवेट में टीबी का इलाज करा रहे मरीजों को 500 रुपये पोषण के लिए सीधे उनके खाते में डाले जा रहे हैं। यह राशि जब तक दवा चलती है तब तक दी जाती है।


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