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सोनपुर विधान सभा क्षेत्र का अगला निजाम कौन ?

सोनपुर विधान सभा क्षेत्र का अगला निजाम कौन ?

  • सूबे की राजनीति दिशा देने वाला विधान सभा क्षेत्र ने दो मुख्यमंत्री व उप मुख्य मंत्री दिया
  • पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराने वाले भाजपा नेता विनय को नहीं मिली थी मंत्रिमंडल में जगह और न 2015 के विजेता रामानुज को भी।

राणा परमार अखिलेश।दिघवारा

छपरा (सारण)। सारण प्रमंडल का पूर्वांचल सोनपुर का महत्व न सिर्फ मोक्षधाम व हरिहर क्षेत्र मेला जैसे एशिया-प्रसिद्ध पशुमेला से है,अपितु राजनीतिक परिवर्तनों व राष्ट्रीय क्रान्ति से से भी है। बहरहाल, आसन्न विधान सभा चुनाव में जनता किसके पक्ष में होगी और कौन होगा सोनपुर का निजाम? कैरोना संकट में भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
स्वतंत्रता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाला सोनपुर विधान सभा के सोनपुर और दिघवारा प्रखंड इतिहास के सुनहले पृष्ठों की शोभा है। 26 जनवरी 1950 को संविधान अंगीकृत होने के बाद 1952 के चुनाव में सोनपुर के कांग्रेस के जगदीश शर्मा प्रथम विधायक निर्वाचित हुए तो दिघवारा विधान सभा से बाबू राम विनोद सिंह प्रथम विधायक निर्वाचित हुए । 1957 में पुनर्गठन के बाद दिघवारा सोनपुर को मिलाकर सोनपुर विधान सभा क्षेत्र बना और कांग्रेस के टिकट पर बाबू राम विनोद सिंह पुनः विधायक बने। किंतु 1962 में भाकपा के टिकट पर कामरेड शिववचन सिंह विधायक बने। 1967 से लेकर 1977 तक लगातार कांग्रेस केन टिकट पर पूर्व मंत्री व उपमुख्य मंत्री रामजयपाल सिंह यादव जीत दर्ज कराते रहे । 1977 में सोशलिस्ट रामसुन्दर दास जनता पार्टी से निर्वाचित हुए और मुख्य मंत्री बने। किंतु 1980 के चुनाव में जनता पार्टी प्रत्याशी रामसुन्दर दास, लोकदल प्रत्याशी लालू प्रसाद यादव व कांग्रेस प्रत्याशी राव वीरेन्द्र सिंह के तिकोणीय संघर्ष में लालू प्रसाद यादव विजयी रहे ।1985 के चुनाव में जनता पार्टी से सकलदेव सिंह, कांग्रेस से राजनारायण सिंह और लालू प्रसाद यादव लोकदल से मैदान में आए और लालू ‘हीरो’ बनकर उभरे । बहरहाल, कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद लालू प्रसाद यादव नेता प्रतिपक्ष बने।
यद्यपि वीपी लहर में लालू प्रसाद यादव छपरा से सांसद निर्वाचित हुए और 1990 में मुख्यमंत्री पद के दौर में शामिल रहे । रामसुन्दर दास, रघुनाथ झा में मतों के बन्दरबांट में लालू प्रसाद यादव बाजी मार कर मुख्यमंत्री बने। जनता दल के टिकट पर राजकुमार राय उर्फ सिपाही राय दो बार विधायक रहे । 2000 के चुनाव में पहली बार भाजपा के टिकट पर विनय कुमार सिंह ने जीत दर्ज कराई अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनता दल प्रत्याशी रामानुज प्रसाद को लगभग 2100 मतों से शिकस्त दी।
उधर छपरा लोकसभा से 1999 में भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी विजयी हुए थे और केंद्र के अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उद्योग व वाणिज्य राज्यमंत्री फिर नगर विमानन राज्यमंत्री बने। बहरहाल, दिघवारा-दरियापुर में पावर ग्रिड की स्वीकृति में सांसद की भूमिका रही तो दिघवारा में दो पावर सब स्टेशनों की स्थापना में विनय की। इतना ही नहीं जर्जर स्कूलों व पुलों के निर्माण व जीर्णोद्धार में तत्कालीन विधायक ने अपने ऐच्छिक कोष का सदुपयोग किया जो आज भी नजीर बनकर ‘सोनपुर का विकास पुरुष अंबिका के लाल’ सर्व स्वीकार हैं । स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम व शिववचन सिंह की प्रतिमा स्थापित कर दलगत राजनीति से ऊपर सोंचने वाले विनय 2005 के दोनों चुनावों में राजद के रामानुज प्रसाद से हार गए । 2010 में मुख्यमंत्री राबड़ी देवी मैदान में आयी और भाजपा से विनय कुमार सिंह । बहरहाल, लगभग 22 हजार मतों से राबड़ी देवी को शिकस्त मिली उधर राघोपुर विधान सभा से जदयू प्रत्याशी सतीश कुमार ने भी राबड़ी देवी को शिकस्त दी। किंतु राजग सरकार में इन दोनों विधायकों को मंत्रिमंडल मंडल में स्थान नहीं मिल पाया । विधायक निधि नहीं संस्तुति कार्य प्रणाली के तहत विधायक विनय कुमार सिंह ने कई परियोजना की संस्तुति की थी किंतु तबतक महागठबंधन सत्ता में आ गई और भाजपा विधायकों की संस्तुति ठंडे बस्ते में पड़ा और जदयू विधायकों की योजनाएं पूरी हुई । बहरहाल, विकास पुरुष कुछ कार्य तो कर सके किंतु लवकुश व माय समीकरण का लाभ महागठबंधन में राजद प्रत्याशी रामानुज प्रसाद को और लगभग 35 हजार मतों से पराजित हुए पूर्व विधायक विनय कुमार सिंह।

कहना न होगा कि सोनपुर प्रखंड के 24 पंचायत और दिघवारा के 10 पंचायत सोनपुर विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत आते हैं । सोनपुर के सबलपुर दियारा क्षेत्र में 7 पंचायतों में राजद का बेस व कैडर वोट है। माय समीकरण राजद का है । आसन्न विधान सभा चुनाव में इस बार जदयू का लवकुश समीकरण भाजपा का बेस व कैडर वोट भाजपा के पक्ष में है। वैसे राजग से कई दावेदार जनता की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं तो राजद के रमेश प्रसाद यादव, बब्लू यादव ,बच्चा राय भी टिकट के दावेदारी के साथ संपर्क अभियान में हैं । भाजपा के बेस वोट में सेंधमारी व टिकट के दौर में विनोद सम्राट ,गुड्डू सिंह, भोला सिंह जैसे सक्रिय हैं । जो 2015 में भी अजमा चुके हैं । बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि कौन कौन पहलवान चुनावी दंगल में दंगली होंगे और कौन होगा सोनपुर का निजाम? राजनीति विश्लेषकों की मान्यता है कि लड़ाई विनय कुमार सिंह ही देंगे। हार- जीत तो अंकगणितीय बेस व कैडर वोटरों पर निर्भर करता है ।

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