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सारण में 83 हजार हेक्टेयर में होगी धान व 39 हजार हे. में होगी मक्का की खेती, 95 % किसानों ने डाला बिचड़ा, 241%अधिक हुई बारिश

सारण में 83 हजार हेक्टेयर में होगी धान व 39 हजार हे. में होगी मक्का की खेती, 95 % किसानों ने डाला बिचड़ा, 241% अधिक हुई बारिश

  • सारण में 1.36 लाख हेक्टेयर में होगी खरीफ फसल की खेती
  • प्रवासी मजदूरों के गांव आने से समय से खेतों डाला गया धान का बिचड़ा

कशिश भारती की रिपोर्ट

छपरा(सारण)। जिले के इसबार सामान्य वर्षापात से अधिक बारिश होने खरीफ फसल का बेहतर पैदावार होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा इस बार जिले में खरीफ फसल के अंतर्गत करीब 83 हजार हेक्टेयर में धान एवं करीब 39 हजार हेक्टेयर में मक्का की बुआई कर पैदावार हासिल करने का लक्ष्य मिला है। जिसके अनुसार जिले के खेती करने को लेकर कृषि विभाग के पदाधिकारी व कर्मी लगे हुए है। वहीं कृषि के क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों को भी अधिक से अधिक रोजगार देने को लेकर विभागीय पदाधिकारी कार्य कर रहे है। जिसका नतीजा है कि इस बार जिले में करीब 8300 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा लगाना था, जिसके आलोक में अभी तक करीब 95 प्रतिशत बिचड़ा डालने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। बता दें कि वर्ष 2019 में भी 83 हजार हेक्टेयर में धान एवं 35 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसमें करीब 74 हजार 35 हेक्टेयर में धान तथा 38 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की गई थी। जिस पर कृषि विभाग ने इस बार धान का लक्ष्य पूर्व के अनुसार रखते हुए मक्का की बुआई के लक्ष्य में वृद्धि करते हुए करीब 39 हजार हेक्टेयर में बुआई कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बावत जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने बताया कि इस बार धान की अधिक पैदावार हासिल करने को लेकर कार्य किया जा रहा है। प्रवासी मजदूरों के आने से धान का बिचड़ा भी समय से खेतों डाला गया है। ऐसे में समय से धान की रोपनी करने की तैयारी की गई है। इसको लेकर जिले के सभी किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है।

जून में 133.50 एमएम सामान्य बारिश अनुमानति, 241 % अधिक हुई बारिश

जिले मानसून आने के बाद मौसम विभाग ने करीब 133.50 मीली मीटर यानी एमएम बारिश होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन बेहतर मानसून होने के कारण सामान्य वर्षापात से करीब 241% अधिक बारिश हुई है। इसलिए इसबार धान की बेहतर पैदावार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

एक नजर में खरीफ फसल का लक्ष्य

धान                 83 हजार हेक्टेयर

मक्का               39 हजार हेक्टेयर

मरूआ               2850 हेक्टेयर

उड़द                 690 हेक्टेयर

मूंग                 965 हेक्टेयर

अन्य दलहन          11015 हेक्टेयर

तेलहन               225 हेक्टेयर

 

श्री विधि व जीरो टीलेज से करें धान की खेती को बढ़ावा देने को ले डीएओ ने दिया निर्देश

इसबार जिले में श्रीविधि एवं जीरो टीलेज तकनीक से धान की खेती का बढ़ावा देने को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने सभी पंचायतों के किसान सलाहकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। किसान उन्नत तकनीक से कम लागत पर खेती कर करीब डेढ़ गुणा अधिक उपज कर सकेंगे। इसके लिए कृषि विभाग ने जिले के सभी प्रखंडो के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किया है। जिसमें श्री विधि से धान के लिए 6292 एकड़ तथा जीरो टीलेज से धान के लिए करीब 2080 एकड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसकी जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों के कृषि पदाधिकारी को श्री विधि व जीरो टीलेज कीट दे दिया गया है। जिसे लक्ष्य के अनुरूप किसानों को वितरण करने का निर्देश दिया गया है। हर हाल में विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया जाएगा।

जीरो टिलेज से खेतों की जुताई के बिना ही करें धान की बुआई

जीरो टिलेज तकनीक से खेती करने पर किसानों का कम खर्च में ही करीब डेढ़ गुणा अधिक पैदावार होती है। इस तकनीक से बुआई करने के लिए फसल कटने के बाद खेतों की जुताई नहीं की जाती है। खेतों में नमी की कमी होने पर खेतों की बिना जुताई के ही हल्की सिंचाई कि जाती है। इसके बाद जीरो टिल सीड ड्रिल मशीन से ही खेतों की बुआई की जाती है। जीरो टिलेज से खेतों की बुआई के समय दानेदार खाद का ही प्रयोग किया जाता है। इस तरह से खेतों की बुआई के समय मशीन में करीब 50 किलो डीएपी व पर्याप्त मात्रा में बीज डाला जाता है। साथ ही खेतो के बुआई होने के बाद एक एकड़ खेत में करीब 32 किलो पोटाश छींट देना चाहिए। जीरो टिलेज तकनीक से खेतों की आसानी से बुआई की जाती है। इसके अलावे खेतों से खरपतवार आसानी से नस्ट किया जा सकता है।

श्री विधि से धान की बुआई के लिए ऐसे करें खेत को तैयार

खेत की तैयारी सामान्य धान के खेतों की तरह ही करते है। एक एकड़ खेत में करीब 20 क्वींटल गोबर खाद या 4 क्वींटल केंचुआ खाद का प्रयोग करना चाहिए। अंतिम जुताई के पहले एक एकड़ खेत में 27 किलो डीएपी, साढ़े 13 किलो पोटाश छींटकर हल से अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। यदि मिट्‌टी में जिंक की कमी होने पर एक एकड़ में 10 किलो जिंक मिलाना चाहिए। बता दें कि कंपोस्ट खाद की उचित मात्रा के बिना सिर्फ रसायनिक खाद का प्रयोग करते रहने से खेत की उपच क्षमता घटती जाती है।

श्री विधि से खेती करते समय 8 ईंच की दूरी पर धान की करें रोपनी

किसान अगर श्री विधि तकनीक से खेती करे तो निश्चित ही फसल की उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके लिए धान की रोपनी के समय थोड़ी सावधानी बरतनी होगी। कृषि विशेषज्ञ सह डीएओ की जयराम पाल की माने तो खेतों में दो सेमी पानी लगे रहने पर ही धान की रोपनी करनी चाहिए। श्री विधि तकनीक से रोपनी के दौरान कम से कम छह से आठ ईंच की दूरी पर ही धान की रोपनी करनी चाहिए। इस तरह से धान की रोपनी करने पर धान के किले बनने में पुरा जगह मिलता है। ऐसे में एक पौधे में 70 से 80 किले पकड़ते है। जिससे पैदावार में डेढ़ गुणा वृद्धि होती है।

 

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