पंकज कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। सारण जिले के विभिन्न प्रखंडों में पंचायत चुनाव चल रहा है वही अधिकांश पंचायतों में पंचायत चुनाव के बाद जीत हार की घोषणा हो गई है। जीत की घोषणा होते ही नव निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को चादर कंबल का लालच दिखाकर वर्तमान एमएलसी और दूसरे प्रत्याशी सम्मान समारोह आयोजित कर रहे हैं।जिसकी चारों ओर गांवों में चर्चा बना हुआ है कि वर्तमान पंचायत चुनाव में धनतंत्र का सराहा लेकर अधिकांश जन प्रतिनिधियों ने बेड़ा पार किया है वही अब वैसे सभी जनप्रतिनिधियों को चादर कंबल का लालच देकर सम्मानित करने का ट्रेंड चल रहा है। आपकों बता दें कि निवर्तमान भाजपा समर्थित विधान पार्षद ई. सच्चिदानंद राय व राजद के प्रत्याशी सुधांशु रंजन और तरैया विधानसभा क्षेत्र से जाप प्रत्याशी और जाप बिहार प्रदेश महासचिव संजय सिंह के द्वारा नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का सम्मान समारोह आयोजित कर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया गया है। इस बार कुल 5322 पंचायत प्रतिनिधि अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जिसमें 47 जिला परिषद के सदस्य 318 मुखिया, 453 पंचायत समिति सदस्य, 4504 वार्ड सदस्य सदस्य उनके भाग्य का फैसला करेंगे। पिछली बार चुनाव में यहां से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ई. सच्चिदानंद राय विजयी हुए थे। वे धनतंत्र के चक्रव्यूह में पंचायत प्रतिनिधियों को फसाने के चक्कर में हैं। सच्चिदानंद राय का भाजपा पार्टी से टिकट कंफर्म है। जबकि राजद के संभावित उम्मीदवार सुधांशु रंजन हर हाल में इस बार सच्चिदानंद राय के विजय रथ को रोकने के प्रयास में है। वैसे राजद के तरफ तेजस्वी यादव ने उन्हें सिंबल देकर आश्वासन दिया है जिसकी बदौलत वे चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। लेकिन इस बार के पंचायत चुनाव में जीत रहें अधिकांश पंचायत प्रतिनिधियों का राष्ट्रीय जनता दल की तरफ़ झुकाव ई सचितानंद का राह मुश्किल कर रहें हैं वही सुधांशु रंजन की राह आसान होती दिख रही है। राजद समर्थित सुधांशु रंजन लगातार पांच वर्षों से क्षेत्र में लगें हुएं हैं और ई सचितानंद पंचायत चुनाव का परिणाम आते ही दिखने पर पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा मंथन किया जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों में ऐसी चर्चा है कि जो भी पांच साल तक उनके मुद्दे के लिएं लड़ेगा वह उनके साथ हैं जिस पर प्रत्याशी के द्वारा सम्मान समारोह आयोजित कर वोटरों का मन मिजाज टटोला जा रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सीट के लिए वार्ड सदस्य पंचायत समिति मुखिया व जिला परिषद के सदस्य वोट करते हैं। पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सीट के लिए पार्टी से ज्यादा मैनेजमेंट काम करता है जिस प्रत्याशी का मैनेजमेंट तगड़ा होता है। जीत उसे ही नसीब होती है। पिछली बार ई. सच्चिदानंद राय का लिफाफा मैनेजमेंट भारी पड़ा था। 2021 के विधान विधान परिषद सिट पर इस समय सुधांशु रंजन का मैनेजमेंट भारी पड़ता दिख रहा है क्योंकि सुधांशु रंजन सारण पिछले लगभग 5 वर्षों से अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के बीच समय व्यतित कर रहे है। पुरे कोरोना काल में सुधांशु रंजन ने कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने के साथ ही उनकी हौसला को बढ़ाने का काम किया है। अन्य जनप्रतिनिधियों की माने तो कोरोना काल में विधान परिषद के अन्य प्रत्याशी यहां तक तत्कालीन एमएलसी अपने जनप्रतिनिधियों के बीच कहीं भी नजन नहीं आये। वहीं विधान परिषद का चुनाव जितने के बाद क्षेत्र से गायब रहना नये पंचायत प्रतिनिधियों के सामने प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ा हैं वही राजद समर्थित सुधांशु रंजन का उनके बीच रहकर उनके हक के लिए लड़ने की बातों पर पंचायत प्रतिनिधि विश्वास कर रहें। लेकिन अब तों जो भी होगा वो चुनाव में ही दिखेगा।


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