राष्ट्रनायक न्यूज।
तरैया (सारण)। तरैया रेफरल अस्पताल में लोग हेलमेट लगाकर प्रवेश करते हैं। जर्जर भवन की छत या जंगलगी छड़ कब किसके सिर पर गिर जाए यह कहना मुश्किल है। 30 बेड के इस रेफरल अस्पताल में महज आठ बेड इस्तेमाल में है शेष 22 बेड कहां है यह पता लगाने वाली बात है। महिला चिकित्सक और सर्जन का एक -एक पद रिक्त है। 13 सृजित पदों में से चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी समेत सिर्फ 3 डाक्टर कार्यरत हैं। ढाई वर्षो से अल्ट्रासाउंड मशीन रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में काम नहीं कर रह है।आवश्यक दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं होती। दूरदराज से आए मरीजों को बाजार से दवाई खरीदने पड़ती है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी श्रीनाथ प्रसाद ने बताते हैं कि जर्जर भवन की स्थिति के बारे में जिलाधिकारी सारण एवं सिविल सर्जन सारण तथा भवन निर्माण विभाग को कई बार लिखित सूचना दी गई। इस जर्जर भवन में कब कौन घायल हो जाएगा यह कहना मुश्किल है। अव्यवस्था का आलम यह है की प्रसूति केंद्र एएनएम के सहारे चलती है तथा गार्ड यहां मरीजों को बैंडेज पट्टी तथा स्टीच का काम करते हैं। यह है हमारे बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग के अधीनस्थ तरैया का रेफरल अस्पताल, कोरोना काल में तो स्वास्थ्य विभाग के बदहाल स्थिति की पोल ही खोल कर रख दी थी लेकिन तरैया का यह दुर्भाग्य ही है कि इस जर्जर भवन व बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर आज तक किसी की नजर नहीं गई। आलम यह है कि चिकित्सक बदहाल व्यवस्था और मौजूद उपकरणों के सहारे जान जोखिम में डाल कर अपनी ड्यूटी बजाने को मजबूर हैं।


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