राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

संघर्ष अभी और

लेखक- अहमद अली

राष्ट्रनायक न्यूज। ” मैं देशवासियों से क्षमा माँगते हुए, सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूँ कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाईयों को मैं समझा नहीं पाया “।ये हैं मोदी जी के शब्द, जो आज ( 19-11-2021) तीन कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करते हुए बोल रहे थे।शायद इन्हीं कानूनों को वो प्रकाश ऐसा सत्य की संज्ञा दे रहे थे , जिसको आन्दोलनकारी किसान काला कानून कह रहे हैं।अब इस ‘काला’में प्रकाश ऐसा ‘सत्य ‘ कहाँ छुपा है, इसे मोदी जी से बेहतर भाला कौन जान सकता है! इनके क्षमा माँगते समय आज आँखों में आँसू तो नजर नहीं आये जैसा कि नोटबंदी के समय नजर आया था , लेकिन भाव भंगिमा कुछ वैसा ही दिखाई दे रहा था।टी वी पर इनका भाषण सुनते ही मुझे अपना वो शेर याद आ गया।

  • कोई सीखे हंसी ख्वाबों की मस्ती में डुबोने की अदा तुझसे • हँसा कर कत्ल करने का तेरे अंदाज बडे़ दिलकश हैं
  • किसी मकतूल को हिम्मत कहाँ जो कह सके कातिल तुझे”
  • तेरी आँखों से छलके अश्क के भी राज बडे़ दिलकश हैः

मैं भी क्षमा चाहता हूँ, ये कहते हुए कि तीनों कानूनों की वापसी की घोषणा के वक्त, मुझे किसी भी दृष्टिकोण से आपका मन ‘सच्चा’ और हृदय ‘पवित्र’ नजर नहीं आया।यदि ऐसा होता तो आप एम एस पी को कानूनी दर्जा देने एवं हजारों आन्दोलनकारी किसानों पर थोपे गये फर्जी मुकदमों को खत्म करने की घोषणा अवश्य करते।700 से अधिक शहीद किसानों के लिये मुआवजा तो दूर , श्रद्धांजलि के एक शब्द का छोटा टुकड़ा भी आपके जुबान पर नहीं आया।मैं इंतजार करते रह गया। आज का दिन इस सत्य का गवाह बनेगा कि दुश्मन चाहे कितना भी ताकतवर हो एकता के सामने उसकी घीग्घी बंध जाती है।बधाई उन 500 से अधिक किसान संगठनों को जिन्होंने लगभग एक वर्ष तक आन्दोलन के दौरान अपनी चट्टानी एकता पर किसी की बुरी नज़र नहीं लगने दी।और यही वजह है कि किसानों का यह आन्दोलन आजादी के बाद भारत का पहला ऐतिहासिक आन्दोलन का दर्जा हासिल कर पाया तो दूसरी तरफ विश्व अस्तरीय मकाम भी पाया।

क्या, क्या न कहा।खालिस्तानी, उग्रवादी, टुकडे़ टुकड़े गैंग,चीन समर्थक , माओवादी, आन्दोलनजीवी और बहुत कुछ।कितनी यातनाएँ दी गयीं- हाड़ कँपा देने वाली सर्द रातों में पानी का बौछार , सड़कों में गढ्ढा़ खोद देना, कीले गाड़ना, गुंडों द्वारा हमला कराना और गालियाँ देना,कभी कभी पानी की किल्लत पैदा कर देना, आन्दोलन को हिंसक बनाने की साजिश आदि इत्यादी।शीत लहर, वर्षाती आँधियाँ और जेठ की दुपहरी ।सबके बावजूद आन्दोलनकारियों के हौसले परवान चढ़ते गये।इसी का नतीजा आज का पीछे हटने वाला मोदी जी का बयान है।

संयुक्त मोर्चे की बैठक तो कल होनी ही है।पर सभी किसान संगठनों का यह फैसला स्वागत योग्य है कि एम एस पी को कानूनी दर्जा मिलने तक हम मोर्चे पर डटे रहेगे, चाहे और जितनी भी कुर्बानियाँ दरकार हो। आईये उन तमाम शहीद किसान भाईयों के लिये नम आँखों और दिल की गहराईयों से खे़राजे अकी़दत पेश करें, जिन्होंने अपनी कुर्बानी दे कर इस आन्दोलन की नींव को अद्वितीय मजबूती अता फरमाई।उन सभी आन्दोलनरत किसानों और हमदर्दों को भी

बहुत बहुत बधाई।हाँ, याद रहे

अभी जीत अधूरी है।

संघर्ष की राह अभी कुछ और लम्बी जान पड़ती है।

फिर भी जीत निश्चित है।

लड़ते भी चलो , कटते भी चलो,

बाजू भी बहुत हैं सर भी बहुत।

चलते भी चलो कि अब डेरे

मंजिल पे ही डाले जायेंगे ( फैज)