नई दिल्ली, (एजेंसी)। 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के बाद 27 नवंबर की शाम को खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के सचिव अशोक चतुवेर्दी तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से मिले। इस दौरान उन्होंने मुंबई हमले को रोकने में नाकामयाब रहने के कारण अपना इस्तीफा देने की बात कही थी। बता दें कि इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 293 लोग घायल हो गए हुए थे। हिन्दुतान टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि अशोक ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के मल्टी एजेंसी सेंटर को हमले की आंशका को लेकर कई इंटेलिजेंस एलर्ट्स दिखाए। ये एलर्ट्स अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से जमा किया गया था।
इसके बाद फअह ने सभी संभावित टारगेट का लिस्ट बनाया। 20 नवंबर को भारतीय नौसेना और तटरक्षक बलों को एलर्ट भेजा। कराची से निकले अल हुसैनी जहाज के बारे में भी बताया गया। जहाज के सटीक पॉइंट्स दिए गए। लेकिन आतंकियों ने मुंबई पोर्ट के बाहर से अंदर आने के लिए एक मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर एमवी कुबेर का इस्तेमाल किया था। 2011 में अशोक चतुवेर्दी की मौत हो गई। माना जाता है कि पीएम मनमोहन सिंह ने फ&अह एलर्ट्स की जांच करने के बाद उन्हें इस्तीफा नहीं देने को कहा। हमले को नहीं रोकने के लिए अशोक को लगातार निशाना बनाया जाता रहा। जनवरी 2009 में वह एजेंसी से रिटायर हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक इंटेलिजेंस ब्यूरो ने मुंबई में यहूदी ठिकानों के लिए चेतावनी जारी की थी। ऐसा तत्कालीन महाराष्ट्र सीएम अशोक चव्हाण द्वारा स्थापित आरडी प्रधान जांच आयोग की रिपोर्ट से पता चलता है। इस रिपोर्ट में मुंबई पुलिस और राज्य गृह मंत्रालय के इंटेलिजेंस पर सवाल उठाए गए हैं क्योंकि इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 9 अगस्त को खास तौर पर ताज महल होटल, ओबेराय होटल और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को लेकर एलर्ट भेजा था।
लश्कर-ए-तैयबा के 26/11 के मुंबई स्काउट डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी ने जून 2010 में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (ठकअ) को बताया था कि सितंबर में मुंबई पर पहला प्रयास विफल रहा क्योंकि नाव समुद्र में डूब गई थी। भारत के साथ ही सीआईए और मोसाद भी इस हमले को रोकने में सफल नहीं होने पर परेशान थे। इस सबके बावजूद दोनों एजेंसियों ने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए जले हुए मोबाइल फोन और आतंकियों के जीपीएस सेट से सुराग निकालने में मदद की थी। मुंबई हमले के बाद केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल, महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल और मुंबई पुलिस आयुक्त हसन गफूर ने इस्तीफा दे दिया था। इस सबसे साफ होता है कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी का इंटेलिजेंस सही था।
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