प्रो0 संजय पाण्डेय। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। शनिवार को सीनेट सदस्य नवलेश कुमार सिंह ने प्रेस वार्ता करते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति सहित भ्रष्टाचार के आरोप में नामित अन्य कर्मियों पदाधिकारियों की बर्खास्तगी के साथ गिरफ्तारी एवं बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में वित्तीय अराजकता की जांच सुनिश्चित करने के संबंध में राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र जारी करते हुए विश्वविद्यालयों में व्याप्त अराजकता, अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के संदर्भ में कुलाधिपति व मुख्यमंत्री को कठोर कार्रवाई हेतु आग्रह किया है। कुछ इसी प्रकार के हालात बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का है जहाँ पूर्व से कई जांच अभी तक लंबित हैं जिन पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि दागदार एवं दोषी लोगों को विश्वविद्यालयों के दो-दो, तीन-तीन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण पदों पर बिठाने का काम होता आ रहा है। अब ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई है कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार, अराजकता एवं अनियमितता को लेकर बिहार के संपूर्ण समाज में काफी क्षोभ एवं नाराजगी आम जनमानस में है। शिक्षा व्यवस्था के संचालनकर्ताओं पर समाज की विश्वसनीयता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। जिसके कारण बिहार के सभी जिलों व विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलित हैं। ऐसे ही रहा तो यह छात्र आंदोलन आम जनमानस के आंदोलन के रास्ते पर जा सकता है जो बेहद निराशाजनक है। इसलिए उपरोक्त परिस्थिति को देखते हुए अपनी 12 सूत्री मांगों पर अविलंब विचार किये जाने की आवश्यकता जताई है।
यह हैं 12 सूत्री मांगें:
1. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति को अविलंब पद से मुक्त किया जाए तथा उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित हो।
2. सभी वर्ग की छात्राओं एवं अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की पढ़ाई में 2016 से लिये गए शुल्क की वापसी अनिवार्य हो एवं विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता प्राप्त निजी महाविद्यालय में इस नियम का अनुपालन नहीं होने के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित हो।
3. सभी विश्वविद्यालयों में संविदा पर तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय संवर्ग में अवैध नियुक्तियां एवं रोस्टर अनुपालन में हुई गड़बड़ी को ठीक करते हुए दोषियों पर कार्रवाई तथा महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के द्वारा बिना टेंडर किये हुए कार्यों को तुरंत रोक लगाते हुए दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
4. कई महाविद्यालयों के जोत वाली जमीन को बिना किसी टेंडर के अपने मनचाहे लोगों को देकर राजस्व की क्षति करके बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिसकी जांच अविलंब करते हुए दोषियों पर कार्रवाई हो।
5. पूर्व से दागी एवं भ्रष्टाचारी सभी विश्वविद्यालय अधिकारियों को चिह्नित करते हुए शीघ्र पदों से उनको हटाया जाए एवं भविष्य में उन्हें किसी भी पद पर नियुक्त नहीं किया जाए।
6. सभी विश्वविद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं घोर अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच उच्च न्यायालय के किसी पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में करवाई जाए।
7. सीनेट-सिंडिकेट की नियमित बैठकें नियमानुसार सुनिश्चित हो। बैठकों की प्रक्रिया का ठीक से अनुपालन हो। वित्त समिति में कुलाधिपति व सरकार द्वारा नामित सीनेट-सिंडिकेट सदस्यों को अनिवार्यतः शामिल किया जाए।
8. बिना “पर्चेज कमिटी” बनाए या उसकी बैठक किए विश्वविद्यालयों के विभागों में कोई भी खरीददारी न हो। विश्वविद्यालयों का ऑडिट यथाशीघ्र किया जाए।
9. विश्वविद्यालयों में उत्तर पुस्तिका की खरीद बाजार भाव से कई गुना ज्यादा कीमत पर हो रही है। इस खुली लूट पर लगाम लगे तथा दोषियों को दंडित किया जाए।
10. कई विश्वविद्यालयों में विश्वविद्यालय प्रेस को इसलिए बंद कर दिया गया ताकि आउटसोर्सिंग करके लूटतंत्र चलते रहे। अविलंब बंद पड़े विश्वविद्यालय प्रेस को शुरू किया जाए। तथा जहां नहीं है वहां नये प्रेस को स्थापित किया जाए।
11. समय से प्रवेश-परीक्षा-परिणाम हो तथा सत्र नियमित किया जाए। विश्वविद्यालयों का एकेडमिक कैलेंडर ठीक से जारी हो व उसका अनुपालन सुनिश्चित हो।
12. विश्वविद्यालयों के महत्वपूर्ण पदों पर प्रभार में नियुक्ति न कर स्थायी नियुक्ति हो। विशेषतः महाविद्यालय प्राचार्यों के पदों पर स्थायी नियुक्ति कर पूर्णकालिक प्राचार्य मिले। विकल्प रहते हुए भी प्रभार देने के नाम पर जो घूसखोरी चल रही है, उसपर शीघ्र रोक लगाने की व्यवस्था बनाई जाए।


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