- किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। रविवार को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर जिले भर में विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। जिला कृषि पदाधिकारी छपरा के सभाकक्ष में आयोजित एक सेमिनार के मंच का संचालन सहायक निदेशक अभियंत्रण संजय कुमार के द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी डॉ केके वर्मा द्वारा “आने वाली पीढ़ी के लिए तथा किसानों के लिए मृदा संरक्षण की आवश्यकता व उपाय” विषय पर विस्तृत चर्चा की गयी। जिसमें मृदा स्वास्थ कार्ड के अनुसार संतुलित उर्वरक का प्रयोग, समेकित पोषण प्रबंधन, जीरो टिलेज मशीन का उपयोग, हरी खाद का उपयोग, जैविक खाद का उपयोग, फसल चक्र अपनाने, पराली प्रबंधन इत्यादि विषयों पर गहन चर्चा की गयी। अपर कृषि निदेशक बिहार धनंजय पति त्रिपाठी द्वारा बायोमास की उपयोगिता, ढैंचा, मूंग, सनई आदि का व्यापक प्रयोग किसानों को (4:21) के अनुपात में नाइट्रोजनःफास्फोरस तथा पोटाश युक्त उर्वरकों का प्रयोग, पीएसबी एजीटोबैक्टर इत्यादि बायो फर्टिलाइजर के प्रयोग की सलाह दी गई। उन्होंने कहा कि किसानों को संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग कर अपनी उत्पादकता को बरकरार रखने की सलाह दी। इसके लिए सस्टेनेबुल एग्रीकल्चर करने की सलाह दी गई। श्री त्रिपाठी द्वारा सदर प्रखण्ड छपरा के किसान राम प्रसाद ठाकुर, अरविंद कुमार, राणा कुमार यादव, बबलू महतो, मुन्ना कुमार, ऋषिदेव राय आदि को मृदा स्वास्थ कार्ड वितरित किया गया। सहायक निदेशक (रसायन) मिट्टी जांच प्रयोगशाला के निदेशक डॉ दीपक कुमार ने कहा कि हमारे प्रयोगशाला में बारह तत्व क्रमश: पीएचईसी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, जिंक, बोरॉन, मैंगनीज और कॉपर आदि की जांच की जाती है।
प्रखण्डों के किसानों के खेत से प्राप्त मिट्टी को इन 12 पैरामीटर 48 जांच कर मृदा स्वास्थ कार्ड का वितरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट/जैविक खाद का प्रयोग किसानों के लिए बहुत आवश्यक है। क्योंकि इसमें 16 तत्व पाये जाते हैं, जिसे बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं। लेकिन खराब करने में चन्द समय लगते हैं। उन्होंने कहा कि उर्वरकों का अन्धाधुन्ध प्रयोग भूमि का कटाव हमारे मृदा संरक्षण को प्रभावित करती है। मिश्रित खेती, समुचित फसल चक का प्रयोग व पराली प्रबंधन आवश्यक है। कृषि विज्ञान केंन्द्र मांझी के वैज्ञानिक सौरभ पटेल द्वारा बताया गया कि मृदा संरक्षण हेतु पारम्परिक खेती एग्रो फॉरेस्ट्री को अपनाने की बात कही। बताया गया कि बिहार सरकार द्वारा जल जीवन हरियाली की योजना चलाई जा रही है। कार्यक्रम में सहायक निदेशक बागवानी राजू रावत द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सेमिनार का समापन हुआ। इसकी जानकारी एकमा के किसान सलाहकार अरुण कुमार सिंह व हरेराम पंडित ने दी।



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