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यूरोप, रूस और अमेरिका में गहराने वाली हैं युद्ध की स्थितियां, यूक्रेन क्यों बना हुआ है दुनिया की महाशक्तियों का वॉर जोन?

नई दिल्ली, (एजेंसी)। शीत युद्ध की तकरार का कूटनीतिक हल तलाशने वाले दुनिया के सामने अचानक सब कुछ बदला हुआ है। रूस ने आक्रमक रुख दिखाया और यूरोप के लिए ऐसा संकट खड़ा हो गया जिससे पार पाना आसान नहीं लग रहा है। दशकों पुराने विवाद से उठ रहा था अचानक बारूद बनकर धधकने लगा। यूक्रेन की सीमा पर उसने तैनाती बढ़ाई जिसके बाद दुनिया की महाशक्ति या आपस में मरने मरने पर उतर आए। यह टक्कर यूक्रेन से नहीं बल्कि पूरे यूरोप और अमेरिका से होती दिख रही है। नाटो सैन्य गठबंधन के नेता, अमेरिका का कहना है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाने की योजना बना रहा है। हालांकि रूस ने इस तरह की किसी भी योजना से इनकार किया है। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था तभी से उसके और यूक्रेन के बीच तनाव बना हुआ है।

इंटेलिजेंस रिपोर्ट में दावा: अमेरिकी इंटेलिजेंस का दावा है कि रूस ने तीन तरफ से यूक्रेन को घेर लिया है। 1.75 लाख सैनिक युक्रेन बॉर्डर पर हमले के लिए तैनात किए गए हैं। नाटो की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन पर किसी भी वक्त रूस की तरफ से हमला किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार रूसी सैनिक पहले से ही यूक्रेन के बॉर्डर पर तैनात किए जा चुके हैं। यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने सांसदों को बताया कि रूस ने बॉर्डर पर फिलहाल 94,300 सैनिक तैनात कर रखे हैं और अगले साल जनवरी में सैनिकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

अमेरिका समेत नाटो देशों की चेतावनी: अमेरिका ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो हम भी अपनी सेना वहां भेजेंगे। नाटो देशों ने भी धमकी देते हुए कहा कि रूस को इंटरनेशनल फाइनेंशियल सिस्टम से बाहर कर दिया जाएगा। मतलब रूस पर कई सारे वित्तीय पाबंदियां लग सकती हैं। यूरोपीय यूनियन ने कहा कि रूस कुछ ऐसा न करें जिससे कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़े।

दशकों पुराना है विवाद: बता दें कि साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता मिली थी। यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। एक तरफ इस देश के बेहद उपजाऊ मैदानी इलाका है वहीं दूसरी तरफ पूर्व की तरफ इस देश में कई बड़े उद्योग हैं। सला 2014 में रूस की ओर झुकाव रखने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के खिलाफ यूक्रेन की सरकार में विद्रोह होने लगा था। रूस ने इस मौके का फायदा उठाया और यूक्रेन में मौजूद क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर डाला। यूक्रेन, रूस और पश्चिमी देशों की खींचतान के बीच फंसा हुआ है।