राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा/दिघवारा (सारण)। दिघवारा स्थित राम जंगल सिंह कॉलेज, एकलव्य एसपी एकेडमी और गोगल सिंह इंटर कॉलेज नयागांव में भी जयंती पर श्रद्धा पूर्वक प्रथम शिक्षिका को याद किया गया। वहीं भारत की प्रथम शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं कवयित्री सावित्रीबाई फुले की 191वीं जयन्ती समारोह सोमवार को नन्द लाल सिंह महाविद्यालय, जैतपुर-दाउदपुर में मनायी गई। राष्ट्रीय सेवा योजना के सौजन्य से प्राचार्य प्रो. के. पी. श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत माता सावित्रीबाई फुले के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. दिनेश पाल ने फुले के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि सावित्रीबाई फुले का विवाह 09 वर्ष की आयु में 13 वर्षीय ज्योतिबा फुले के साथ हुआ था। विवाहोपरांत सावित्रीबाई को ज्योतिबा ने शिक्षित किया। अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो. के. पी. श्रीवास्तव ने बताया कि सावित्रीबाई फुले शिक्षिका के साथ-साथ एक महान समाज सेविका तथा मराठी कवयित्री भी थीं। जिस समय समाज के रूढ़िवादी लोग लड़कियों को पढ़ाना पाप समझते थे। उस समय फुले दम्पति ने स्त्री-शिक्षा का अलख जगाया। तत्कालीन समाज में स्त्री-शिक्षा के कुंठित विरोधियों के विरोध को दरकिनार करते हुए सावित्रीबाई ने स्त्री-शिक्षा को आगे बढ़ाया। डॉ. आफ़ताब आलम ने कहा कि स्त्री-शिक्षा व समाज सुधार के लिए सावित्रीबाई फुले तथा ज्योतिबा फुले को गोविंदराव फुले ने पुरोहितों के दबाव में आकर घर से निकाल दिया। उस समय फ़ातिमा शेख ने दोनों लोग अपने घर में आश्रय दिया और फ़ातिमा ने फुले के साथ शिक्षण का भी कार्य किया। फ़ातिमा शेख को भारत का प्रथम मुस्लिम शिक्षिका हैं। डॉ. श्री कमलजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारे देश में एक से एक विदुषी हुई हैं लेकिन स्त्री-शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले का योगदान सराहनीय तथा अनुकरणीय है। डॉ. श्री भगवान ठाकुर ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का योगदान ज्योतिबा फुले से भी अधिक है लेकिन हमारे इतिहासकारों व साहित्यकारों ने उन्हें उपेक्षित किया है। उन्होंने आगे कहा कि बालहत्याप्रतिबंधकगृह की परिकल्पना सावित्रीबाई फुले की ही रही है। काशीबाई को सावित्रीबाई फुले ने ही अपने घर लाया, जो कि विधवा होते हुए गर्भवती थीं। काशीबाई ने जिस बच्चे को जन्म दिया उसी बालक को फुले दम्पति ने गोद लिया जिसका नाम यशवंत रखा गया। डॉ. रूबी चंद्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्त्री को जब-जब समाज में सम्मान मिला है तब-तब स्त्रियों ने अपनी पहचान बनाई है। कार्यक्रम की शुरुआत में ही स्नातक की छात्रा ज्योति तथा इंटरमीडिएट की छात्रा खुशबू ने सावित्री बाई फुले पर केंद्रित मधुर गीत गाकर सभी को भावविभोर कर दिया। प्रियंका, सपना, अमित, राहुल एवं केशव ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम में डॉ. टी. गंगोपाध्याय, स्वर्गदीप शर्मा, डॉ. आशीष कुमार, डॉ. उपेंद्र कुमार, स्वर्गदीप शर्मा, डॉ. सुनील सिंह, डॉ. धनंजय सिंह, डॉ. इंदु कुमारी, रमेश कुमार रजक, संजय सिंह, आलोक सिंह, राजीव सिंह, चारु, राजकुमार एवं विद्यार्थी आदि उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमृत प्रजापति ने किया।
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